18 जनवरी 2023, सामान्य काल का दूसरा सप्ताह, बुधवार
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📒 पहला पाठ : इब्रानियो 7:1-3,15,17
1) जब इब्राहीम राजाओं को हरा कर लौट रहे थे, तो सालेम के राजा और सर्वोच्च ईश्वर के पुरोहित वही मेलखि़सेदेक उन से मिलने आये और उन्होंने इब्राहीम को आशीर्वाद दिया।
2) इब्राहीम ने उन्हें सब चीज़ों का दशमांश दिया। मेलखि़सेदेक का अर्थ है -धार्मिकता का राजा। वह सालेम के राजा भी है, जिसका अर्थ है- शान्ति के राजा।
3) उनके न तो पिता है, न माता और न कोई वंशावली। उनके जीवन का न तो आरम्भ है और न अन्त। वह ईश्वर के पुत्र के सदृश हैं और वह सदा पुरोहित बने रहते हैं।
15) यह सब और भी स्पष्ट हो जाता है, यदि हम इस पर विचार करें कि एक अन्य पुरोहित प्रकट हुआ, जो मेलखि़सेदेक के सदृश है,
17) उसके विषय में धर्मग्रन्थ यह साक्ष्य देता है – तुम मेलखि़सेदेक की तरह सदा पुरोहित बने रहोगे।
📚 सुसमाचार : मारकुस 3:1-6
1) ईसा फिर सभागृह गये। वहाँ एक मनुष्य था, जिसका हाथ सूख गया था।
2) वे इस बात की ताक में थे कि ईसा कहीं विश्राम के दिन उसे चंगा करें, और वे उन पर दोष लगायें।
3) ईसा ने सूखे हाथ वाले से कहा, “बीच में खड़े हो जाओ”।
4) तब ईसा ने उन से पूछा, “विश्राम के दिन भलाई करना उचित है या बुराई, जान बचाना या मार डालना?” वे मौन रहे।
5) उनके हृदय की कठोरता देख कर ईसा को दुःख हुआ और वह उन पर क्रोधभरी दृष्टि दौड़ा कर उस मनुष्य से बोले, “अपना हाथ बढ़ाओ”। उसने ऐसा किया और उसका हाथ अच्छा हो गया।
6) इस पर फ़रीसी बाहर निकल कर तुरन्त हेरोदियों के साथ ईसा के विरुद्ध परामर्श करने लगे कि हम किस तरह उनका सर्वनाश करें।