अय्यूब(योब) का ग्रन्थ
अध्याय : 1 • 2 • 3 • 4 • 5 • 6 • 7 • 8 • 9 • 10 • 11 • 12 • 13 • 14 • 15 • 16 • 17 • 18 • 19 • 20 • 21 • 22 • 23 • 24 • 25 • 26 • 27 • 28 • 29 • 30 • 31 • 32 • 33 • 34 • 35 • 36 • 37 • 38 • 39 • 40 • 41 • 42 • पवित्र बाइबल
अध्याय 1
1 ऊस देश में अय्यूब नामक मनुष्य रहता था, वह निर्दोष और निष्कपट था, ईश्वर पर श्रद्धा रखता और बुराई से दूर रहता था।
2 उसके सात पुत्र और तीन पुत्रियाँ थीं।
3 उसके पास सात हज़ार भेड़ें, तीन हज़ार ऊँट, पाँच सौ जोड़ी बैल, पाँच सौ गधियाँ और बहुत-से नौकर-चाकर थे। वह समस्त पूर्वी देशों के लोगों में सबसे बड़ा था।
4 उसके पुत्र बारी-बारी से अपने यहाँ भोज का प्रबन्ध किया करते और अपनी तीनों बहनों को भी अपने साथ खाने-पीने के लिए निमन्त्रित किया करते थे।
5 जब भोजों के एक चक्र समाप्त हो जाता था, तो अय्यूब उन को बुला कर उनकी शुद्धि करवाता और वह स्वयं बड़े सबेरे उठ कर प्रत्येक के लिए होम चढ़ता था; क्योंकि अय्यूब यह सोचता थाः सम्भव है, मेरे लड़कों ने कोई पाप किया हो और मन-ही-मन ईश्वर की निन्दा की हो। इसलिए अय्यूब हर बार ऐसा किया करता था।
6 एक दिन ऐसा हुआ कि स्वर्गदूत प्रभु के सामने उपस्थित हुए और शैतान भी उन में सम्मिलित हो गया।
7 प्रभु ने शैतान से कहा, “तुम कहाँ से आये हो?” शैतान ने प्रभु को उत्तर दिया, “मैंने पृथ्वी का पूरा चक्कर लगाया”।
8 इस पर प्रभु ने कहा, “क्या तुमने मेरे सेवक अय्यूब पर ध्यान दिया है? पृथ्वी भर में उसके समान कोई नहीं; वह निर्दोष और निष्कपट है, वह ईश्वर पर श्रद्धा रखता और बुराई से दूर रहता है।”
9 शैतान ने प्रभु से कहा, “क्या अय्यूब यों ही ईश्वर पर श्रद्धा रखता है?
10 क्या आपने उसके, उसके परिवार और उसकी पूरी जायदाद के चारों ओर मानो घेरा लगा कर उसे सुरक्षित नहीं रखा? आपने उसके सब कार्यों को आशीर्वाद दिया। उसके झुण्ड देश भर मैं फैले हुए हैं।
11 आप हाथ बढ़ा कर उसकी सारी सम्पत्ति छीन लें, तो वह निश्चिय ही आपके मुँह पर आपकी निन्दा करेगा।”
12 प्रभु ने शैतान से कहा, “अच्छा! उसका सब कुछ तुम्हारे हाथ में है, किन्तु अय्यूब पर हाथ मत लगाना”। इसके बाद शैतान प्रभु के सामने से चला गया।
13 अय्यूब के पुत्र-पुत्रियाँ किसी दिन अपने बड़े भाई के यहाँ खा-पी रहे थे
14 कि एक सन्देशवाहक ने आ कर अय्यूब से कहा, “बैल हल में जुते हुए थे और गधियाँ उनके आस-पास चर रही थीं।
15 उस समय शबाई उन पर टूट पड़े और आपके सेवकों को तलवार के घाट उतार कर सब पशुओं को ले गये। केवल मैं बच गया और आप को यह समाचार सुनाने आया हूँ।”
16 वह बोल ही रहा था कि कोई दूसरा आ कर कहने लगा, “ईश्वर की आग आकाश से गिर गयी। उसने भेड़ों और चहवाहों को जला कर भस्म कर दिया। केवल मैं बच गया और आप को यह समाचार सुनाने आया हूँ।”
17 वह बोल ही रहा था कि एक और अन्दर आया और कहने लगा, “खल्दैयी तीन दल बना कर ऊँटों पर टूट पड़े और आपके नौकरों को तलवार के घाट उतार कर पशुओं को ले गये। केवल मैं बच गया और आप को यह समाचार सुनाने आया हूँ।”
18 वह बोल ही रहा था कि एक और आ कर कहने लगा, “आपके पुत्र-पुत्रियाँ अपने बड़े भाई के यहाँ खा-पी रहे थे
19 कि एक भीषण आँधी मरुभूमि की ओर से आयी और घर के चारों कोनों से इतने जोर से टकरायी कि घर आपके पुत्र-पुत्रियों पर गिर गया और वे मर गये। केवल मैं बचा गया और आप को यह समाचार सुनाने आया हूँ।”
20 अय्यूब ने उठ कर अपने वस्त्र फाड़ डाले। उनसे सिर मुड़ाया और मुँह के बल भूमि पर गिर कर
21 यह कहा, “मैं नंगा ही माता के गर्भ से निकला और नंगा ही पृथ्वी के गर्भ में लौट जाऊँगा! प्रभु ने दिया था, प्रभु ने ले लिया। धन्य है प्रभु का नाम!”
22 इन सब विपत्तियों के होते हुए भी अय्यूब ने कोई पाप नहीं किया और उसने ईश्वर की निन्दा नहीं की।