अय्यूब(योब) का ग्रन्थ
अध्याय : 1 • 2 • 3 • 4 • 5 • 6 • 7 • 8 • 9 • 10 • 11 • 12 • 13 • 14 • 15 • 16 • 17 • 18 • 19 • 20 • 21 • 22 • 23 • 24 • 25 • 26 • 27 • 28 • 29 • 30 • 31 • 32 • 33 • 34 • 35 • 36 • 37 • 38 • 39 • 40 • 41 • 42
अध्याय 25
1 तब बिलदद ने उत्तर देते हुए कहा:
2 प्रभुत्व और आतंक प्रभु का है। वह आकाश की ऊँचाइयों में शान्ति बनाये रखता है।
3 उसकी सेनाएँ कौन गिन सकता है? उसकी ज्योति का उदय किस पर नहीं होता?
4 क्या मनुष्य ईश्वर की दृष्टि में धार्मिक हो सकता है? क्या स्त्री की सन्तान पवित्र होने का दावा कर सकती है?
5 जब उसकी दृष्टि में चन्द्रमा प्रकाशमान नहीं और नक्षत्र शुद्ध नहीं,
6 तो मनुष्य की बात ही क्या, जो मात्र कीड़ा है? आदम की सन्तान ही क्या, जो मात्र कृमि है?