अय्यूब(योब) का ग्रन्थ
अध्याय : 1 • 2 • 3 • 4 • 5 • 6 • 7 • 8 • 9 • 10 • 11 • 12 • 13 • 14 • 15 • 16 • 17 • 18 • 19 • 20 • 21 • 22 • 23 • 24 • 25 • 26 • 27 • 28 • 29 • 30 • 31 • 32 • 33 • 34 • 35 • 36 • 37 • 38 • 39 • 40 • 41 • 42
अध्याय 27
1 तब अय्यूब ने अपनी बात ज़ारी रखते हुए कहा:
2 जीवन्त ईश्वर की शपथ, जो मुझे न्याय नहीं दिलाता! सर्वशक्तिमान् की शपथ, जिसने मेरा मन कटु बना दिया है!
3 जब तक मैं जीवित रहूँगा, जब तक ईश्वर का श्वास मुझे अनुप्राणित करेगा,
4 तब तक मेरे होंठ झूठ नहीं बोलेंगे, तब तक मेरी जीभ असत्य नहीं कहेगी।
5 धिक्कार मुझे! यदि मैं तुम से सहमत होऊँ! मैं मरते दम तक अपनी निर्दोषता का दावा करूँगा।
6 मैं अपनी धार्मिकता पर दृढ़ रहूँगा और इसका त्याग नहीं करूँगा। मेरा अंतःकरण मेरे किसी भी दिन के कारण मुझे दोषी नहीं ठहराता।
7 मेरे शत्रु को दुष्ट का भाग्य प्राप्त हो! मेरे विरोधी को अपराधी का दण्ड मिले!
8 जब ईश्वर दुष्ट का अन्त कर देता है, तो उसे किस लाभ की आशा रह जाती है?
9 जब उस पर विपत्ति आ पड़ती है, तो क्या ईश्वर उसकी पुकार सुनेगा?
10 यदि वह सर्वशक्तिमान् को अपना आनंद मानता, तो उसने ईश्वर से हर समय प्रार्थना की होती।
11 मैं तुम लोगों को ईश्वर के सामर्थ्य की शिक्षा दूँगा। मैं सर्वशक्तिमान् के विचार नहीं छिपाऊँगा।
12 जब तुम लोगों ने यह सब देखा है, तो क्यों इस प्रकार बकवाद करते हो?
13 ईश्वर दुष्ट के लिए यह भाग्य निर्धारित करता है, अत्याचारी को सर्वशाक्तिमान् की ओर से यह विरासत प्राप्त होगी:
14 उसके बहुसंख्यक पुत्रों को तलवार के घाट उतारा जायेगा, उसे वंशजों को भूखा रहना होगा।
15 जो बच जाते हैं, वे महामारी के शिकार बनेंगे और उनकी विधवाएँ उनका शोक नहीं मनायेंगी।
16 चाहे वह धूल की तरह चाँदी एकत्र करे और मिट्टी के ढेर की तरह वस्त्र जमा करे,
17 किन्तु धर्मी उन्हें पहन लेगा और निर्दोष को उसकी चाँदी मिल जायेगी।
18 जो घर बनाता हैं, वह मकड़ी के जाले की तरह, चौकीदार द्वारा बनायी झोपड़ी की तरह है।
19 वह सोने जाते समय अमीर और जागते समय कंगाल है।
20 विभीषिकाएँ उसे बाढ़ की तरह घेरती हैं और बवण्डर उसे रात में उड़ा देता है।
21 पूर्वी हवा उसे उठा कर ले जाती और अपने स्थान से उखाड़ कर फे़ंकती है।
22 लोग उस पर निर्दयता से टूट पड़ते हैं और वह मारने वालों से भागने का प्रयत्न करता है।
23 उसकी दुर्गति पर लोग तालियाँ पीटते हैं और उसके अपने घर वाले उस पर सीटी बजाते हैं।