योशुआ का ग्रन्थ
अध्याय : 1 • 2 • 3 • 4 • 5 • 6 • 7 • 8 • 9 • 10 • 11 • 12 • 13 • 14 • 15 • 16 • 17 • 18 • 19 • 20 • 21 • 22 • 23 • 24 • पवित्र बाईबल
अध्याय 19
1 सिमओन, अर्थात सिमओर वंश के विभिन्न कुलों के लिए दूसरी चिट्ठी निकली। उनका दायभाग यूदा वंश के दायभाग में ही था।
2 उन को दायभाग में यह मिला: बएर-शेबा, या शेबा, मोलादा,
3 हसर शुआल, बाला, एसेम,
4 एलतोलद, बतूल, होरमा,
5 सिकलग, बेत-मरकाबोत, हसर-सूसा,
6 बेत-लबाओत और शारूहेन – ये तेरह नगर और इनके आसपास के गाँव।
7 फिर अयीन, रिम्मोन, एतेर ओर आशान ये चार नगर और इनके आसपास के गाँव।
8 बालात-बेअर, अर्थात दक्षिणी रामा तक के सब गाँव। यही सिमओर वंश के विभिन्न कुलों का दायभाग था।
9 सिमओन वंश का दायभाग यूदा वंश के भाग से लिया गया। चूँकि यूदा वंश का भाग उनके लिए अधिक बड़ा था, इसलिए सिमओन वंश को उनके दायभाग का एक हिस्सा मिला।
10 जबुलोन वंश के विभिन्न कुलों के लिए तीसरी चिट्ठी निकली।
11 उनके दायभाग की सीमा सारीद तक थी। वह सीमा पश्चिम की ओर मरअला तक और दब्बाशेत को छूती हुई योकनआम के पूर्व के नाले तक जाती थी।
12 वह सारीद से, विपरीत दिशा में, पूर्व की ओर, अर्थात सूर्योदय की ओर, किसलोत ताबोर की सीमा तक जाती, फिर दाबरत की तरफ जाकर याफ़ीआ पहुँचती थी।
13 वह वहाँ से पूर्व की ओर गात-हेफेर और एत-कासीन तक और फिर रिम्मोन तक पहुँचती थी। तब वह नेआ की ओर मुड़ जाती थी।
14 फिर वह उत्तर की ओर मुड़ कर हन्नातोन तक जाती और यिफ़्तह-एल की घाटी में समाप्त होती थी।
15 फिर कट्टात, नहलाल, शिम्रोन, यिदअला और बेथलेहेम। कुल मिला कर ये बारह नगर थे और इनके आसपास के गाँव।
16 यही जबुलोन वंश के विभिन्न कुलों का दायभाग था, अर्थात ये नगर और इनके आसपास के गाँव।
17 इस्साकार, अर्थात इस्साकार वंश के विभिन्न कुलों के लिए चैथी चिट्ठी निकली।
18 उनके भाग में ये सम्मिलित थे: यिज्रएल, कसुल्लोत, शुनेम,
19 हफ़ारईम, शीओन, अनाहरात,
20 रब्बीत, किशयोन, एबेस
21 रेमेत, एन-गन्नीम, एन-हद्दा और बेन-पस्सेस।
22 उसकी सीमा ताबोर, शहसीमा और बेत-शेमेश को स्पर्श करती हुई यर्दन तट पर समाप्त हो जाती थी। ये सोलह नगर थे और इनके आसपास के गाँव।
23 यही इस्साकार वंश के विभिन्न कुलों का दायभाग था, अर्थात ये नगर और इनके आसपास के गाँव।
24 आशेर वंश के विभिन्न कुलों के लिए पाँचवी चिट्ठी निकली।
25 इनके भाग में हेलकत, हली, बेटेन, अक्षाफ़,
26 अल्लम-मेलेक, अमआत और मिशआल सम्मिलित थे। पश्चिम में इसकी सीमा करमेल पर्वत और लिबनात नदी तक जाती थी।
27 फिर यह पूर्व की ओर मुड़ कर और बेत-दागोन तक जा कर तथा उत्तर में जबुलोन और यिफ्तह-एल की घाटी को स्पर्श करती हुई बेत-एमेक और नईएल की ओर जा कर उत्तर दिशा की ओर बढ़ती हुई उत्तर में काबूल तक पहुँचती थी।
28 इस में एब्रोन, रहोब, हम्मोन, काना और महा-सीदोन सम्मिलित थे।
29 फिर यह सीमा रामा की ओर मुड़ कर किलाबन्द तीरूस नगर तक जाती थी।
30 इस में उमा, अफेक और रहोब सम्मिलित थे। कुल मिला कर ये बाईस नगर थे और इनके आसपास के गाँव।
31 यही आशेर वंश के विभिन्न कुलों का दायभाग था, अर्थात ये नगर और इनके आसपास के गाँव।
32 नफ़्ताली वंश के विभिन्न कुलों के लिए छठी चिट्ठी निकली।
33 उनकी सीमा हेलेफ से सानन्नीम के बलूत वृक्ष से अदामी-नेकेब और यबनेएल हो कर और लक्कूम तक जा कर यर्दन पर समाप्त हो जाती थी।
34 फिर वह पश्चिम की ओर मुड़ कर अज़्नोत-ताबोर से होती हुई वहाँ से हुक्कोम पहुँचती थी। वह दक्षिण में जबुलोन और पश्चिम में आशेर और पूर्व में यर्दन के किनारे पर यूदा को स्पर्श करती थी।
35 किलाबन्द नगर ये थे: सिद्दीम, सेर, हम्मत, रक्कत, किन्नेरेत,
36 आदामा, रामा, हासोर,
37 केदेश, एद्रेई, एन-हासोर,
38 यिरओन, मिगदल-एल, होरेम, बेत-अनात और बेत-शेमेल। ये उन्नीस नगर थे और इनके आसपास के गाँव।
39 यही नफ़्ताली वंश के विभिन्न कुलों का दायभाग था- यही नगर और इनके आसपास के गाँव।
40 दान वंश के विभिन्न कुलों के लिए सातवी चिट्ठी निकली।
41 उसके दायभाग की भूमि में ये सम्मिलित थे: सोरआ, एषताओल, ईरषेमेष,
42 शअलब्बीन, अय्यालोन, यितला,
43 एलोन, तिमना, एक्रोन,
44 एलतके, गिब्बतोन, बालात,
45 यहुद, बेनेबरक, गत रिम्मोन,
46 मे-यरकोन, रक्कोन और याफ़ो के सामने की भूमि।
47 जब दानवंशियों का भाग उनके हाथ से निकल गया, तब उन्होंने लेषेम पर चढ़ाई की, उसे अधिकार में कर लिया, उसका विनाश किया और उसे बसाया। उन्होंने अपने वंश के आदिपुरुष दान के नाम पर लेषेम का नाम दान रखा।
48 यही दान वंश के विभिन्न कुलों का दायभाग था- यही नगर और इनके आसपास के गाँव।
49 देश के विभिन्न भागों को दायभाग के रूप में बाँट लेने के बाद इस्राएलियों ने नून के पुत्र योशुआ को भी अपने बीच दायभाग दिया।
50 उन्होंने प्रभु की आज्ञा के अनुसार उसे वह नगर दिया, जिसे वह चाहता था, अर्थात एफ्रईम के पहाड़ी प्रान्त का तिमनत-सेरह। उसने उस नगर का पुनर्निर्माण करवाया और वहाँ बस गया।
51 ये वे दायभाग हैं, जिन्हें याजक एलआजार, नून के पुत्र योशुआ और इस्राएली वंशों के कुलों के मुखिया लोगों ने शिलों में, दर्शन कक्ष के द्वार पर, प्रभु के सामने चिट्ठियाँ डाल कर बाँटा। इस प्रकार देश का विभाजन समाप्त हुआ।