जुलाई 02, 2023, इतवार

वर्ष का तेरहवाँ समान्य इतवार

📒 पहला पाठ : 2 राजाओं 4:8-11,14-16

8) एलीशा किसी दिन शूनेम हो कर जा रहा था। वहाँ की एक धनी महिला ने उस से अनुरोध किया कि वह उसके यहाँ भोजन करे। इसके बाद, जब-जब उसे वहाँ हो कर जाना था, तो वह उसके यहाँ भोजन करता था।

9) उसने अपने पति से कहा, “मुझे विश्वास है कि जो हमारे यहाँ भोजन करने आया करते हैं, वह एक ईश्वर-भक्त सन्त हैं।

10) हम छत पर एक छोटा-सा कमरा बनवायेंं। हम उस में पलंग, मेज़, कुर्सी और दीपक रख दें। जब वह हमारे यहाँ आयेंगे, तो उस में विश्राम करेंगे।”

11) एलीशा किसी दिन आया और छ़त पर चढ़ कर वहाँ सो गया।

14) एलीशा ने कहा, “मैं उस महिला के लिए क्या कर सकता हूँ?” उसके सेवक गेहज़ी ने उत्तर दिया, “उसके कोई पुत्र नहीं है और उसका पति बूढ़ा है”।

15) एलीशा ने कहा, “उसे बुलाओ”। उसने उसे बुलाया और वह द्वार पर खड़ी हो गयी।

16) तब एलीशा ने कहा, “अगले वर्ष, इसी समय तुम्हारी गोद में पुत्र होगा”। उसने उत्तर दिया, “नही ईश्वर-भक्त! अपनी दासी को झूठा आश्वासन नहीं दीजिए”।

📒 दूसरा पाठ : रोमियों 6:3-4,8-11

3) क्या आप लोग यह नहीं जानते कि ईसा मसीह का तो बपतिस्मा हम सबों को मिला है, वह उनकी मृत्यु का बपतिस्मा हैं?

4) हम उनकी मृत्यु का बपतिस्मा ग्रहण कर उनके साथ इसलिए दफनाये गये हैं कि जिस तरह मसीह पिता के सामर्थ्य से मृतकों में से जी उठे हैं, उसी तरह हम भी एक नया जीवन जीयें।

8) हमें विश्वास है कि यदि हम मसीह के साथ मर गये हैं, तो हम उन्ही के जीवन के भी भागी होंगे;

9) क्योंकि हम जानते हैं कि मसीह मृतको में से जी उठने के बाद फिर कभी नहीं मरेंगे। अब मृत्यु का उन पर कोई वश नहीं।

10) वह पाप का हिसाब चुकाने के लिए एक बार मर गये और अब वह ईश्वर के लिए ही जीते हैं।

11) आप लोग भी अपने को ऐसा ही समझें-पाप के लिए मरा हुआ और ईसा मसीह में ईश्वर के लिए जीवित।

📒 सुसमाचार : मत्ती 10:37-42

37) जो अपने पिता या अपनी माता को मुझ से अधिक प्यार करता है, वह मेरे योग्य नहीं है। जो अपने पुत्र या अपनी पुत्री को मुझ से अधिक प्यार करता है, वह मेरे योग्य नहीं।

38) जो अपना क्रूस उठा कर मेरा अनुसरण नहीं करता, वह मेरे योग्य नहीं।

39) जिसने अपना जीवन सुरक्षित रखा है, वह उसे खो देगा और जिसने मेरे कारण अपना जीवन खो दिया है, वह उसे सुरक्षित रख सकेगा।

40) “जो तुम्हारा स्वागत करता है, वह मेरा स्वागत करता है और जो मेरा स्वागत करता है वह उसका स्वागत करता है, जिसने मुझे भेजा है।

41) जो नबी का इसलिए स्वागत करता है कि वह नबी है, वह नबी का पुरस्कार पायेगा और जो धर्मी का इसलिए स्वागत करता है कि वह धर्मी है, वह धर्मी का पुरस्कार पायेगा।

42) “जो इन छोटों में से किसी को एक प्याला ठंडा पानी भी इसलिए पिलायेगा कि वह मेरा शिष्य है, तो मैं तुम्हें विश्वास दिलाता हूँ कि वह अपने पुरस्कार से वंचित नहीं रहेगा।