पहला पाठ : आमोस का ग्रन्थ 9:11-15

11) ‘‘उस दिन मैं दाऊद का टूटा-फूटा हुआ घर फिर खड़ा करूँगा। मैं उसकी दरारें भर दूँगा और उसके खँडहरों का पुनर्निर्माण करूँगा। वह जैसा पहले था, उसी तरह मैं उसे फिर बनवाऊँगा।

12) तब वे एदोम के बचे हुए अंश और उन सब राष्ट्रों को अपने अधिकार में करेंगे, जो पहले मेरे कहलाते थे।’’ यह उस प्रभु की वाणी है, जो यह सब पूरा करेगा।

13) यह पुभु की वाणी है: ‘‘वे दिन आ रहे हैं, जब लुनने वाले के तुरन्त बाद हल चलाने वाला आयेगा और बोने वाले के बाद अंगूर बटोरने वाला। पहाड़ों से अंगूरी की नदियाँ बह निकलेंगी और पहाड़ियों से अंगूरी टपकती रहेगी।

14) तब मैं अपनी प्रजा इस्राएल के निर्वासितों को वापस ले आऊँगा। वे उजाड़ नगरों का पुनर्निर्माण करेंगे और उन में निवास करेंगे। वे दाखबारियाँ लगा कर अंगूरी पियेंगे और बगीचे रोप कर फल खायेंगे।

सुसमाचार : सन्त मत्ती का सुसमाचार 9:14-17

14) इसके बाद योहन के शिष्य आये और यह बोले, ’’हम और फरीसी उपवास किया करते हैं। आपके शिष्य ऐसा क्यों नहीं करते?’’

15) ईसा ने उन से कहा, ’’जब तक दूल्हा साथ है, क्या बाराती शोक मना सकते हैं? किन्तु वे दिन आयेंगे, जब दुल्हा उन से बिछुड़ जायेगा। उन दिनों वे उपवास करेंगे।

16) ’’कोई पुराने कपडे़ पर कोरे कपडे़ का पैबंद पहीं लगाता, क्योंकि वह पैबंद सिकुड़ कर पुराना कपड़ा फाड़ देता है और चीर बढ़ जाता है।

17) और लोग पुरानी मशकों में नयी अंगूरी नहीं भरते। नहीं तो मशकें फट जाती हैं, अंगूरी बह जाती है और मशकें बरबाद हो जाती हैं। लोग नयी अंगूरी नयी मशकों में भरते हैं। इस तरह दोनों ही बची रहती हैं।’’