पहला पाठ : इसायाह का ग्रन्थ 7:1-9

1) जब योतान का पुत्र और उज़्ज़ीया का पौत्र आहाज़ यूदा का राजा था, तो उस समय अराम का राजा रसीन और रमल्या का पुत्र इस्राएल का राजा पेकह, दोनों मिल कर येरुसालेम पर आक्रमण करने निकले, किन्तु वे उसे जीतने में असमर्थ रहे।

2) दाऊदवंशी राजा को यह समाचार मिला कि अरामियों ने एफ्ऱईम में पड़ाव डाला है। यह सुन कर राजा और उसकी प्रजा इस प्रकार काँपने लगे, जिस प्रकार जंगल के पेड़ आँधी में काँपते हैं।

3) किन्तु प्रभु ने इसायाह से कहा, “तुम अपने पुत्र शआर-याशूब के साथ रंगरेज के खेत की सड़क पर, जहाँ नहर ऊपरी तालाब से निकलती है, आहाज़ से मिलने जाओ

4) और उस से यह कहो- सावधान रहो! धीरज धर कर मत डरो। अरामी रसीन और रमल्या के पुत्र का क्रोध प्रज्वलित हो उठा है। वे तो दो धुँआते लुआठों के सदृश हैं। उनके कारण मत घबराओ।

5) उन्हें यह कहते हुए षड्यन्त्र रचने दो –

6) हम यूदा पर चढ़ाई करने जा रहे हैं। हम उसे पछाड़ कर पराजित कर देंगे और वहाँ टाबएल के पुत्र को राजा बनायेंगे।

7) प्रभु-ईश्वर यह कहता है- यह नहीं होगा! कभी नहीं होगा!

8 )8-9) जिस तरह अराम की राजधानी दमिश्क है, दमिश्क का राजा रसीन; एफ्ऱईम की राजधानी समारिया है और समारिया का राजा रमल्या का पुत्र, उसी तरह पैंसठ वर्ष बाद एफ्ऱईम कुचल दिया जायेगा और वह राष्ट्र नहीं रह जायेगा। यदि तुम्हारा विश्वास दृढ़ नहीं है, तो तुम निश्चय ही विचलित हो जाओगे।”

सुसमाचार : सन्त मत्ती का सुसमाचार 11:20-24

20) तब ईसा उन नगरों को धिक्कारने लगे, जिन्होंने उनके अधिकांश चमत्कार देख कर भी पश्चाताप नहीं किया था,

21) ’’धिक्कार तुझे, खोंराजि़न! धिक्कार तुझे, बेथसाइदा! जो चमत्कार तुम में किये गये हैं, यदि वे तीरूस और सिदोन में किये गये होते, तो उन्होंने न जाने कब से टाट ओढ़ कर और भस्म रमा कर पश्चाताप किया होता।

22) इसलिए मैं तुम से कहता हूँ, न्याय के दिन तेरी दशा की अपेक्षा तीरूस और सिदोन की दशा कहीं अधिक सहनीय होगी।

23) ’’और तू, कफ़रनाहूम! क्या तू स्वर्ग तक ऊँचा उठाया जायेगा? नहीं! तू अधोलोक तक नीचे गिरा दिया जायेगा; क्योंकि जो चमत्कार तुझ में किये गये हैं, यदि वे सोदोम में किये गये होते, तो वह आज तक बना रहता।

24) इसलिए मैं तुझ से कहता हूँ, न्याय के दिन तेरी दशा की अपेक्षा सोदोम की दशा कहीं अधिक सहनीय होगी।’’