पहला पाठ : यिरमियाह का ग्रन्थ 1:1,4-10
1) ये शब्द यिरमियाह के हैं, जो बेनयामीन प्रान्त के अनात¨त में निवास करने वाले याजक हिलकीया का पुत्र है।
4) प्रभु की वाणी मुझे यह कहते हुए सुनाई पड़ी-
5) “माता के गर्भ में तुम को रचने से पहले ही, मैंने तुम को जान लिया। तुम्हारे जन्म से पहले ही, मैंने तुम को पवित्र किया। मैंने तुम को राष्ट्रों का नबी नियुक्त किया।“
6) मैंने कहा, “आह, प्रभु-ईश्वर! मुझे बोलना नहीं आता। मैं तो बच्चा हूँ।“
7) परन्तु प्रभु ने उत्तर दिया, “यह न कहो- मैं तो बच्चा हूँ। मैं जिन लोगों के पास तुम्हें भेजूँगा, तुम उनके पास जाओगे और जो कुछ तुम्हें बताऊगा, तुम वही कहोगे।
8) उन लोगों से मत डरो। मैं तुम्हारे साथ हूँ। मैं तुम्हारी रक्षा करूँगा। यह प्रभु वाणी है।“
9) तब प्रभु ने हाथ बढ़ा कर मेरा मुख स्पर्श किया और मुझ से यह कहा, “मैं तुम्हारे मुख में अपने शब्द रख देता हूँ।
10) देखो! उखाड़ने और गिराने, नष्ट करने और ढा देने, निर्माण करने और रोपने के लिए मैं आज तुम्हें राष्ट्रों तथा राज्यों पर अधिकार देता हूँ।“
सुसमाचार : सन्त मत्ती का सुसमाचार 13:1-9
46) ईसा लोगों को उपदेश दे रहे थे कि उनकी माता और भाई आये। वे घर के बाहर थे और उन से मिलना चाहते थे।
47) किसी ने ईसा से कहा, ’’देखिए, आपकी माता और आपके भाई बाहर हैं। वे आप से मिलना चाहते हैं।’’
48) ईसा ने उस से कहा, ’’कौन है मेरी माता? कौन है मेरे भाई?
49) और हाथ से अपने शिष्यों की ओर संकेत करते हुए उन्होंने कहा, ’’देखो, ये हैं मेरी माता और मेरे भाई!
50) क्योंकि जो मेरे स्वर्गिक पिता की इच्छा पूरी करता है, वही मेरा भाई है, मेरी बहन और मरी माता।’’