पहला पाठ : सुलेमान का सर्वश्रेष्ठ गीत 3:1-4
1) मैं सारी रात अपने पलंग पर अपने प्राणप्रिय को ढूँढ़ती हूँ। मैं उसे ढूँढ़ती हूँ, किन्तु नहीं पाती।
2) मैं उठ कर गलियों तथा चैकों से होते नगर का चक्कर लगाती हूँ। मैं अपने प्राणप्रिय को ढूँढ़ती हूँ मैं उसे ढूँढ़ती हूँ, किन्तु नहीं पाती।
3) नगर का फेरा लगाते हुए पहरेदार मुझे मिलते हैं: ‘‘क्या आप लोगों ने मेरे प्राणप्रिय को देखा?‘‘
4) मैं उनसे आगे बढ़ती ही हूँ कि मैं अपने प्राणप्रिय को पा लेती हूँ।
सुसमाचार : योहन 20:1-2,11-18
1) मरियम मगदलेना सप्ताह के प्रथम दिन, तडके मुँह अँधेरे ही कब्र के पास पहुँची। उसने देखा कि कब्र पर से पत्थर हटा दिया गया है।
2) उसने सिमोन पेत्रुस तथा उस दूसरे शिष्य के पास, जिसे ईसा प्यार करते थे, दौडती हुई आकर कहा, ’’वे प्रभु को कब्र में से उठा ले गये हैं और हमें पता नहीं कि उन्होंने उन को कहाँ रखा है।’’
11) मरियम कब्र के पास, बाहर रोती रही। उसने रोते रोते झुककर कब्र के भीतर दृष्टि डाली
12) और जहाँ ईसा का शव रखा हुआ था वहाँ उजले वस्त्र पहने दो स्वर्गदूतों को बैठा हुआ देखा- एक को सिरहाने और दूसरे को पैताने।
13) दूतों ने उस से कहा, ’’भद्रे! आप क्यों रोती हैं?’’ उसने उत्तर दिया, ’’वे मेरे प्रभु को उठा ले गये हैं और मैं नहीं जानती थी कि उन्होंने उन को कहाँ रखा है’’।
14) वह यह कहकर मुड़ी और उसने ईसा को वहाँ खडा देखा, किन्तु उन्हें पहचान नहीं सकी।
15) ईसा ने उस से कहा, ’’भद्रे! आप क्यों रोती हैं। किसे ढूँढ़ती हैं? मरियम ने उन्हें माली समझकर कहा, ’’महोदय! यदि आप उन्हें उठा ले गये, तो मुझे बता दीजिये कि आपने उन्हें कहाँ रखा है और मैं उन्हें ले जाऊँगी’’।
16) इस पर ईसा ने उस से कहा, ’’मरियम!’’ उसने मुड कर इब्रानी में उन से कहा, ’’रब्बोनी’’ अर्थात गुरुवर।
17) ईसा ने उस से कहा, ’’चरणों से लिपटकर मुझे मत रोको। मैं अब तक पिता के पास ऊपर नहीं गया हूँ। मेरे भाइयेां के पास जाकर उन से यह कहो कि मैं अपने पिता और तुम्हारे पिता, अपने ईश्वर और तुम्हारे ईश्वर के पास ऊपर जा रहा हूँ।’’
18) मरियम मगदलेना ने जाकर शिष्यों से कहा कि मैंने प्रभु को देखा है और उन्होंने मुझे यह सन्देश दिया।