पहला पाठ : यिरमियाह का ग्रन्थ 26:1-9
1) योशीया के पुत्र यूदा के राजा यहोयाकीम के शासनकाल के प्रारम्भ में यिरमियाह को प्रभु की यह वाणी सुनाई पड़ीः
2) “प्रभु यह कहता है- प्रभु के मन्दिर के प्रांगण में खड़ा हो कर यूदा के सब नगरों के निवासियों को सम्बोधित करो, जो वहाँ आराधना करने आते हैं। जो कुछ मैं तुम्हें बताऊँगा, यह सब उन्हें सुनाओगे- एक शब्द भी नहीं छोड़ोगे।
3) हो सकता है कि वे सुनें और अपना कुमार्ग छोड़ कर मेरे पास लौट आयें। तब मैं भी अपना मन बदल कर उनके पापों के कारण उन पर विपत्ति भेजने का अपना विचार छोड़ दूँगा।
4) इसलिए उन से कहो: प्रभु यह कहता है -यदि तुम लोग मेरी बात नहीं सुनोगे और उस संहिता का पालन नहीं करोगे, जिसे मैंने तुम को दिया है;
5) यदि तुम मेरे सेवकों की उन नबियों की बात नहीं सुनोगे, जिन्हें मैं व्यर्थ ही तुम्हारे पास भेजता रहा,
6) तब मैं इस मन्दिर के साथ वही करूँगा, जो मैंने शिलो के साथ किया और मैं इस नगर को पृथ्वी के राष्ट्रों की दृष्टि में अभिशाप की वस्तु बना दूँगा।“
7) याजकों, नबियों और सभी लोगों ने प्रभु के मन्दिर में यिरमियाह का यह भाषण सुना।
8) जब यिरमियाह प्रभु के आदेश के अनुसार जनता को यह सब सुना चुका था, तो याजक, नबी और सब लोग यह कहते हुए उस पर टूट पड़े: “तुम को मरना ही होगा।
9) तुमने क्यों प्रभु के नाम पर भवियवाणी की है कि यह मन्दिर शिलो के सदृश और यह नगर एक निर्जन खँडहर हो जायेगा?“ सब लोगों ने प्रभु के मन्दिर में यिरमियाह को घेर लिया।
सुसमाचार : सन्त योहन का सुसमाचार 11:19-27
19) इसलिये भाई की मृत्यु पर संवेदना प्रकट करने के लिये बहुत से यहूदी मरथा और मरियम से मिलने आये थे।
20) ज्यों ही मरथा ने यह सुना कि ईसा आ रहे हैं, वह उन से मिलने गयी। मरियम घर में ही बैठी रहीं।
21) मरथा ने ईसा से कहा, “प्रभु! यदि आप यहाँ होते, तो मेरा भाई नही मरता
22) और मैं जानती हूँ कि आप अब भी ईश्वर से जो माँगेंगे, ईश्वर आप को वही प्रदान करेगा।“
23) ईसा ने उसी से कहा “तुम्हारा भाई जी उठेगा“।
24) मरथा ने उत्तर दिया, “मैं जानती हूँ कि वह अंतिम दिन के पुनरुथान के समय जी उठेगा“।
25) ईसा ने कहा, “पुनरुत्थान और जीवन मैं हूँ। जो मुझ में विश्वास करता है वह मरने पर भी जीवित रहेगा
26) और जो मुझ में विश्वास करते हुये जीता है वह कभी नहीं मरेगा। क्या तुम इस बात पर विश्वास करती हो?”
27) उसने उत्तर दिया, “हाँ प्रभु! मैं दृढ़ विश्वास करती हूँ कि आप वह मसीह, ईश्वर के पुत्र हैं, जो संसार में आने वाले थे।”