पहला पाठ : यिरमियाह का ग्रन्थ 26:11-16,24

11) याजकों और नबियों ने शासकों और समस्त जनता से कहा, “यह व्यक्ति प्राणदण्ड के योग्य है। इसने इस नगर के विरुद्ध भवियवाणी की है, जैसा कि आपने अपने कानों से सुना है।“

12) किन्तु यिरमियाह ने शासकों और समस्त जनता से कहा, “तुम लोगों ने इस मन्दिर और इस नगर के विरुद्ध जो भवियवाणी सुनी है, मैंने उसे प्रभु के आदेश से घोषित किया है।

13) इसलिए अपना आचरण सुधारो। अपने प्रभु-ईश्वर की बात सुनो, जिससे उसने जो विपत्ति भेजने की धमकी दी है, वह उसका विचार छोड़ दे।

14) मैं तो तुम्हारे वश में हूँ- जो उचित और न्यायसंगत समझते हो, वही मेरे साथ करो।

15) किन्तु यह अच्छी तरह समझ लो कि यदि तुम मेरा वध करोगे, तो तुम अपने पर, इस नगर और इसके निवासियों पर निर्दोष रक्त बहाने का अपराध लगाओगे; क्योंकि प्रभु ने ही तुम्हें यह सब सुनाने मुझे तुम्हारे पास भेजा है।“

16) इस पर शासकों और समस्त जनता ने याजकों और नबियां से कहा, “यह व्यक्ति प्राणदण्ड के योग्य नहीं है। यह हमारे प्रभु ईश्वर के नाम पर हम से बोला है।“

24) शाफ़ान के पुत्र अहीकाम ने यिरमियाह की रक्षा की और उसे लोगों के हाथ नहीं पड़ने दिया, जो उसका वध करना चाहते थे।

📙 सुसमाचार : सन्त मत्ती का सुसमाचार 14:1-12

1) उस समय राजा हेरोद ने ईसा की चर्चा सुनी।

2) और अपने दरबारियों से कहा, ’’यह योहन बपतिस्ता है। वह जी उठा है, इसलिए वह महान् चमत्कार दिखा रहा है।’’

3) हेरोद ने अपने भाई फि़लिप की पत्नी हेरोदियस के कारण योहन को गिरफ़्तार किया और बाँध कर बंदीगृह में डाल दिया था;

4) क्योंकि योहन ने उस से कहा था, ’’उसे रखना आपके लिए उचित नहीं है’’।

5) हेरोद योहन को मार डालना चाहता था; किन्तु वह जनता से डरता था, जो योहन को नबी मानती थी।

6) हेरोद के जन्मदिवस के अवसर पर हेरोदियस की बेटी ने अतिथियों के सामने नृत्य किया और हेरोद को मुग्ध कर दिया।

7) इसलिए उसने शपथ खा कर वचन दिया कि वह जो भी माँगेगी, उसे दे देगा।

8) उसकी माँ ने उसे पहले से सिखा दिया था। इसलिए वह बोली, ’’मुझे इसी समय थाली में योहन बपतिस्ता का सिर दीजिए’’।

9) हेरोद को धक्का लगा, परन्तु अपनी शपथ और अतिथियों के कारण उसने आदेश दिया कि उसे सिर दे दिया जाये।

10) और प्यादों को भेज कर उसने बंदीगृह में योहन का सिर कटवा दिया।

11) उसका सिर थाली में लाया गया और लड़की को दिया गया और वह उसे अपनी माँ के पास ले गयी।

12) योहन के शिष्य आ कर उसका शव ले गये। उन्होंने उसे दफ़नाया और जा कर ईसा को इसकी सूचना दी।