जून 14, 2023, बुधवार
वर्ष का दसवाँ सप्ताह
📒 पहला पाठ : 2 कुरिन्थियों 3:4-11
4) हम यह दावा इसलिए कर सकते हैं कि हमें मसीह के कारण ईश्वर पर भरोसा है।
5) इसका अर्थ यह नहीं कि हमारी कोई अपनी योग्यता है। हम अपने को किसी बात का श्रेय नहीं दे सकते। हमारी योग्यता का स्त्रोत ईश्वर है। उसने हमें एक नये विधान के सेवक होने के योग्य बनाया है
6) और यह विधान अक्षरों का नहीं, बल्कि आत्मा का है; क्योंकि अक्षर तो घातक हैं, किन्तु आत्मा जीवनदायक हैं।
7) उस विधान के अक्षर पत्थर पर अंकित थे और उसके द्वारा प्राणदण्ड दिया जाता था। फिर भी उसकी महिमामय घोषणा के फलस्वरूप मूसा का मुखमण्डल इतना दीप्तिमय हो गया था कि इस्राएली उस पर आँख जमाने में असमर्थ थे, यद्यपि मूसा के मुखमण्डल की दीप्ति अस्थायी थी।
8) यदि पुराना विधान इतना महिमामय था, तो आत्मा का विधान कहीं अधिक महिमामय होगा।
9) यदि दोषी ठहराने वाले विधान का सेवा-कार्य इतना महिमामय था, तो दोषमुक्त करने वाले विधान का सेवा-कार्य कहीं अधिक महिमामय होगा।
10) इस वर्तमान परमश्रेष्ठ महिमा के सामने वह पूर्ववर्ती महिमा अब निस्तेज हो गयी है।
11) यदि अस्थायी विधान इतना महिमामय था, तो चिरस्थायी विधान कहीं अधिक महिमामय होगा।
📙 सुसमाचार : सन्त मत्ती का सुसमाचार 5:17-19
(17) “यह न समझो कि मैं संहिता अथवा नबियों के लेखों को रद्द करने आया हूँ। उन्हें रद्द करने नहीं, बल्कि पूरा करने आया हूँ।
(18) मैं तुम लोगों से यह कहता हूँ – आकाश और पृथ्वी भले ही टल जाये, किन्तु संहिता की एक मात्रा अथवा एक बिन्दु भी पूरा हुए बिना नहीं टलेगा।
(19) इसलिए जो उन छोटी-से-छोटी आज्ञाओं में एक को भी भंग करता और दूसरों को ऐसा करना सिखाता है, वह स्वर्गराज्य में छोटा समझा जायेगा। जो उनका पालन करता और उन्हें सिखाता है, वह स्वर्गराज्य में बड़ा समझा जायेगा।