जून 26, 2023, सोमवार
वर्ष का बारहवाँ सप्ताह
📒 पहला पाठ : उत्पत्ति 12:1-9
1) प्रभु ने अब्राम से कहा, ”अपना देश, अपना कुटुम्ब और पिता का घर छोड़ दो और उस देश जाओ, जिसे मैं तुम्हें दिखाऊँगा।
2) मैं तुम्हारे द्वारा एक महान् राष्ट्र उत्पन्न करूँगा, तुम्हें आशीर्वाद दूँगा और तुम्हारा नाम इतना महान् बनाऊँगा कि वह कल्याण का स्रोत बन जायेगा – जो तुम्हें आशीर्वाद देते हैं, मैं उन्हें आशीर्वाद दूँगा।
3) जो तुम्हें शाप देते है, मैं उन्हें शाप दूँगा।
4) तुम्हारे द्वारा पृथ्वी भर के वंश आशीर्वाद प्राप्त करेंगे।” तब अब्राम चला गया, जैसा कि प्रभु ने उस से कहा था और लोट उसके साथ गया। जब अब्राम हारान छोड़ कर चला गया, तो उसकी अवस्था पचहत्तर वर्ष की थी।
5) अब्राम अपनी पत्नी सारय तथा अपने भतीजे लोट को अपने साथ ले गया और उनके द्वारा संचित समस्त सम्पत्ति तथा उन सब लोगों को भी, जो उन्हें हारान में मिल गये थे।
6) वे कनान देश चले गये। वहाँ पहुँच कर अब्राम ने सिखेम नगर तक, मोर के बलूत तक उस देश को पार किया। उस समय कनानी उस देश में निवास करते थे।
7) प्रभु ने अब्राम को दर्शन दे कर कहा, ”मैं यह देश तुम्हारे वंशजों को प्रदान करूँगा”। अब्राम ने वहाँ प्रभु के लिए, जिसने उसे दर्शन दिये थे, एक वेदी बनायी।
8) उसने वहाँ से बेतेल के पूर्व के पहाड़ी प्रदेश जा कर पड़ाव डाला। उसके पश्चिम में बेतेल और पूर्व में अय था। उसने वहाँ प्रभु के लिए एक वेदी बनायी और प्रभु का नाम ले कर प्रार्थना की।
9) इसके बाद अब्राम जगह-जगह पड़ाव डालते हुए नेगेब की ओर आगे बढ़ा।
📙 सुसमाचार : मत्ती 7:1-5
1) “दोष नहीं लगाओ, जिससे तुम पर भी दोष न लगाया जाये;
2) क्योंकि जिस प्रकार तुम दोष लगाते हो, उसी प्रकार तुम पर भी दोष लगाया जायेगा और जिस नाप से तुम नापते हो, उसी से तुम्हारे लिए भी नापा जायेगा।
3) जब तुम्हें अपनी ही आँख की धरन का पता नहीं, तो तुम अपने भाई की आँख का तिनका क्यों देखते हो?
4) जब तुम्हारी ही आँख में धरन है, तो तुम अपने भाई से कैसे कह सकते हो, ’मैं तुम्हारी आँख का तिनका निकाल दूँ?’
5) रे ढोंगी! पहले अपनी ही आँख की धरन निकालो। तभी अपने भाई की आँख का तिनका निकालने के लिए अच्छी तरह देख सकोगे।