लेवी ग्रन्थ
अध्याय : 1 • 2 • 3 • 4 • 5 • 6 • 7 • 8 • 9 • 10 • 11 • 12 • 13 • 14 • 15 • 16 • 17 • 18 • 19 • 20 • 21 • 22 • 23 • 24 • 25 • 26 • 27 • पवित्र बाईबल
अध्याय 11
1 प्रभु ने मूसा और हारून से कहा,
2.”इस्राएलियों से कहो कि पृथ्वी पर के सब पशुओं में
3 जो पशु फटे खुर वाले और पागुर करने वाले हैं, उन्हें तुम खा सकते हो।
4 परन्तु केवल पागुर करने वालों या केवल फटे खुर वालों को तुम नहीं खा सकते हो। तुम ऊँट को अशुद्ध मानोगे : वह पागुर तो करता है, परन्तु उसके खुर फटे नहीं होते।
5 तुम चट्टानी बिज्जू को अशुद्व मानोगे : वह पागुर तो करता है, परन्तु इसके खुर फटे नहीं होते।
6 तुम खरगोश को अशुद्ध मानोगे : वह पागुर तो करता है, परन्तु उसके खुर फटे नहीं होते।
7 तुम सूअर को अशुद्ध मानोगे : उसके खुर तो फटे होते, परन्तु वह पागुर नहीं करता।
8 तुम इन पशुओं का मांस नहीं खा सकते और इनकी लाशें छू नहीं सकते। ये तुम्हारे लिए अशुद्ध हैं।
9.”सब जल-जन्तुओं में तुम इन को खा सकते हो : तुम उन सब को खा सकते हो, जो पंख और शल्क वाले हैं – चाहे वे समुद्र में रहते हों, चाहे नदियों में।
10 बिना पंख और शल्क वाली मछलियाँ तुम घृणित समझोगे – चाहे वे समुद्र में रहें या नदियों में, चाहे वे छोटी हों या बड़ी।
5 तुम चट्टानी बिज्जू को अशुद्व मानोगे : वह पागुर तो करता है, परन्तु इसके खुर फटे नहीं होते।
6 तुम खरगोश को अशुद्ध मानोगे : वह पागुर तो करता है, परन्तु उसके खुर फटे नहीं होते।
7 तुम सूअर को अशुद्ध मानोगे : उसके खुर तो फटे होते, परन्तु वह पागुर नहीं करता।
8 तुम इन पशुओं का मांस नहीं खा सकते और इनकी लाशें छू नहीं सकते। ये तुम्हारे लिए अशुद्ध हैं।
9.”सब जल-जन्तुओं में तुम इन को खा सकते हो : तुम उन सब को खा सकते हो, जो पंख और शल्क वाले हैं – चाहे वे समुद्र में रहते हों, चाहे नदियों में।
10 बिना पंख और शल्क वाली मछलियाँ तुम घृणित समझोगे – चाहे वे समुद्र में रहें या नदियों में, चाहे वे छोटी हों या बड़ी।
11 तुम इन को घृणित समझो और इस प्रकार की मरी मछली कभी नहीं खाओगे।
12 तुम सब बिना पंख और शल्क वाले जल-जन्तुओं को घृणित समझो।
13.”पक्षियों में तुम इन्हें घृणित समझोगे और इन्हें नहीं खाओगे : गरुड़, हड़फोड़, कुरर,
14 चील, सब प्रकार के बाज,
15 सब प्रकार के कौए,
16 शुतुरमुर्ग़, रात शिकरा, जल-कुक्कुट, सब प्रकार के शिकरे,
17 घुग्घू, हड़गीला, बड़ा उल्लू,
18 उल्लू, हवासील, गिद्ध,
19 लगलग, सब प्रकार के बगुले, हुदहुद और चमगादड़।
20 तुम सब पंख और चार पाँव वाले कीड़े को घृणित समझोगे।
21 परन्तु तुम उन पंख और चार पाँव वाले किड़ों को खा सकते हो, जिनके पृथ्वी पर कूदने के पैर होते हैं।
22 इसलिए तुम इन्हें खा सकते हो : सब प्रकार की टिड्डियाँ, सब प्रकार के सोलआम-टिड्डे सब प्रकार के हरगोल-टिड्डे और सब प्रकार के हागाव-टिड्डे।
23 शेष सभी पंख वाले कीड़े, जिनके चार पैर होते हैं, तुम्हारे लिए घृणित हैं।
24.”तुम इन पशुओं के स्पर्श से अशुद्ध हो जाते हो। जो इनकी लाश का स्पर्श करता है, वह शाम तक अशुद्ध होगा।
25 जो इनकी लाश ले जाता है, वह अपने कपड़े धोयेगा और शाम तक अशुद्ध होगा।
26 जिन पशुओं के खुर फटे नहीं होते और जो पागुर नहीं करते, तुम उन्हें अशुद्ध समझोगे। जो उनका स्पर्श करता है, वह अशुद्ध हो जाता है।
27 तुम चार पाँव वाले पशुओं को अशुद्ध समझोगे, जो अपने पंजों के बल चलते हैं। जो उनकी लाश का स्पर्श करता है, वह शाम तक अशुद्ध होगा।
28 जो उनकी लाश ले जाता है, वह अपनी कपड़े धोयेगा और शाम तक अशुद्ध होगा। वे तुम्हारे लिए अशुद्ध हैं।
29.”भूमि से सट कर चलने वाले जीव-जन्तुओं में तुम इन्हें अशुद्ध समझोगे : नेवला, चूहा सब प्रकार के गोहे,
30 छिपकली, अग्निकीट, टिकटिक, साण्डा और गिरगिट।
31 तुम भूमि से सटकर चलने वाले सब जीव-जन्तुओं को अशुद्ध मानो। जो उनकी लाश का स्पर्श करता है, वह शाम तक अशुद्ध है ।
32 जिन चीज़ों पर उनकी लाश गिरती है – चाहे वह लकड़ी हो, वस्त्र, चमड़ा या टाट हो या उपयोग में आने वाली कोई वस्तु- वे शाम तक अशुद्ध हैं। उन्हें पानी में रख दो और वे दूसरे दिन शुद्ध होंगी।
33 यदि उन जन्तुओं में कोई मिट्टी के बरतन में गिरे, तो उस में जो कुछ रखा होगा, वह अशुद्ध हो जायेगा। तुम वह बरतन फोड़ डालोगे।
34 जिस खाद्य पदार्थ पर इस प्रकार के बरतन का पानी पड़े या उस में जो पेय है, वह अशुद्ध है।
35 जिस किसी चीज़ पर उनकी लाश गिर जाये ,वह अशुद्ध हो जायेगी। तुम ऐसी भट्ठियाँ या चूल्हे तोड़ दोगे। वे अशुद्ध हैं और तुम उन्हें अशुद्ध मानोगे।
36 केवल सोता या पानी का संचय करने का कुण्ड शुद्ध माना जाएगा : परन्तु जो उन में पड़ी हुई लाश को छूता है, वह अशुद्ध हो जाता है।
37 यदि ऐसी लाश बोये जाने वाले बीज पर गिरती है, तो वह शुद्ध रहता है।
38 परन्तु यदि बीज पानी में भीगा हो और उस पर इनकी लाश गिर जाये, तो तुम उसे अशुद्ध मानोगे।
39.”यदि तुम्हारे खाद्य पशुओं में कोई मर जाता है, तो उसे छूने वाला व्यक्ति शाम तक अशुद्ध है।
40 जो उस का मांस खायेगा, वह अपने कपड़े धोयेगा और शाम तक अशुद्ध होगा। जो उसकी लाश ले जायेगा, वह अपने कपड़े धोयेगा और शाम तक अशुद्ध होगा।
41.”तुम भूमि पर रेंगने वाले सब जीव-जन्तुओं को घृणित समझोगे और उन्हें नहीं खाओगे –
42 चाहे वह पेट के बल या चार पाँवों से, या चार से अधिक पाँवों से चलते हों। तुम उन्हें घृणित समझोगे।
43 इस प्रकार के जीव-जन्तुओं से अपवित्र मत बनो। तुम न तो स्वयं उन को छू कर अशुद्ध बनो और न अपने को उनके द्वारा अशुद्ध बनने दो।
44 मैं , प्रभु, तुम्हारा ईश्वर हूँ, इसलिए अपने आप को पवित्र करो और पवित्र बने रहो, क्योंकि मैं पवित्र हूँ। तुम भूमि पर रेंगने वाले जीव-जन्तुओं से अशुद्ध मत बनो।
45.मैं वह प्रभु हूँ, जो तुम्हें इसलिए मिस्र से निकाल लाया कि मैं तुम्हारा अपना ईश्वर बनूँ। पवित्र बनो, क्योंकि मैं पवित्र हूँ।
46.”पशुओं, पक्षियों, जलचरों और पृथ्वी पर रेंगने वाले जीवों के सम्बन्ध में नियम यही हैं।
47.इस से सब लोग जान जायें कि कौन पशु अशुद्ध और कौन शुद्ध हैं, कौन खाद्य हैं और कौन अखाद्य।”