लेवी ग्रन्थ

अध्याय : 12345678910111213141516171819202122 •  2324252627पवित्र बाईबल 

अध्याय 21

1 प्रभु ने मूसा से कहा, ”हारून के पुत्रों, याजकों से यह कहो – याजक किसी देश-भाई के शव का स्पर्श कर अपवित्र न बने।
2 वह अपने इन निकट सम्बन्धियों के लिए अपने को अपवित्र कर सकता है – अपनी माता, अपना पिता, अपना पुत्र, अपनी पुत्री, अपना भाई,
3 अपनी ऐसी बहन, जो अविवाहित होने के कारण उसके अपने परिवार की हो।
4 वह अपने कुटुम्ब में प्रमुख है, इसलिए वह अपने को अशुद्ध और अपवित्र न करे।
5 याजक अपने सिर के बाल नहीं मूँडें, अपनी दाढ़ी का किनारा नहीं काटें और अपने शरीर में घाव नहीं करें।
6 वे अपने ईश्वर के सामने पवित्र बने रहें और उसका नाम अपवित्र नहीं करें। वे प्रभु को होम-बलियाँ, अपने ईश्वर का आहार, चढ़ाते हैं; इसलिए उन्हें पवित्र होना चाहिए।
7 वे किसी वेश्या या शीलभ्रष्ट स्त्री या पति द्वारा परित्यक्ता के साथ विवाह नहीं करें, क्योंकि याजक को अपने ईश्वर के लिए पवित्र होना चाहिए।
8 तुम उसे पवित्र मानोगे, क्योंकि वह तुम्हारे ईश्वर का आहार चढ़ाता है। वह तुम्हारे लिए पवित्र होगा, क्योंकि मैं, प्रभु, जो तुम को पवित्र करता है, पवित्र हूँ।
9 याजक की पुत्री, जो वेश्या बनती है, अपने पिता का अनादर करती है। उसे आग में जला दिया जाये।
10 “वह याजक, जो अपने भाइयों में प्रधान है, जिसके सिर पर अभ्यंजन का तेल उँड़ेला गया है और पवित्र वस्त्र पहनने के लिए जिसका अभिषेक हो चुका है, अपने बाल खुले न रखे और अपने वस्त्र न फाड़े।
11 वह किसी शव के पास जा कर अपने को अपवित्र न करे – चाहे वह अपने पिता या अपनी माता का शव क्यों न हो।
12 वह पवित्र-स्थान से दूर नहीं जाये और अपने ईश्वर के पवित्र-स्थान को अपवित्र नहीं करे, क्योंकि वह तेल के अभ्यंजन द्वारा अपने ईश्वर को अर्पित किया गया है। मैं प्रभु हूँ।
13 वह कन्या अक्षत हो, जिसके साथ वह विवाह करे।
14 विधवा, परित्यक्ता, शीलभ्रष्टा या वेश्या, वह इन में किसी के साथ विवाह नहीं करे।
15 वह केवल अपने वंश की किसी कुँवारी से विवाह करे। इस प्रकार वह अपने वंशजों को अपवित्र नहीं करेगा। मैं प्रभु हूँ, जो उसे पवित्र करता है।”
16 फिर प्रभु ने मूसा से कहा,
17 “हारून से कहो कि यदि तुम्हारे वंशजो में किसी के शरीर में कोई दोष हो, तो वह अपने ईश्वर का आहार चढ़ाने नहीं आये। यह सब पीढ़ियों के लिए चिरस्थायी आदेश है।
18 जिसके शरीर में कोई दोष हो, वह याजक का कार्य सम्पन्न नहीं करे, अर्थात् अन्धा, लँगड़ा, विकृत मुख वाला, विकलांग,
19 जिसका पैर या हाथ टूटा हो,
20 कुबड़ा, बौना, जिसकी आँख में कोई दोष हो, चर्मरोगी या नपुंसक।
21 यदि हारून के वंशजों में किसी को इस प्रकार का दोष हो, तो वह प्रभु के चढ़ावे अर्पित नहीं कर सकता। वह अपने दोष के कारण अपने ईश्वर का आहार नहीं चढ़ा सकता।
22 लेकिन वह अपने ईश्वर का पवित्र बलि-प्रसाद और परमपवित्र बलि-प्रसाद खा सकता है।
23 वह अपने दोष के कारण अन्तरपट और वेदी के पास नहीं आ सकता। वह मेरा पवित्र-स्थान अपवित्र नहीं करेगा, क्योंकि मैं वही प्रभु हूँ, जो उन्हें पवित्र करता है।”
24 मूसा ने यह सब हारून, उसके पुत्रों और सब इस्राएलियों को बताया।