लेवी ग्रन्थ

अध्याय : 12345678910111213141516171819202122 •  2324252627पवित्र बाईबल 

अध्याय 4

1 प्रभु ने मूसा से कहा,
2 ”इस्राएलियों से कहो कि यदि कोई व्यक्ति अनजाने प्रभु के आदेशों का उल्लंघन करे या प्रभु द्वारा मना किया हुआ कोई काम करे,
3 यदि पापी व्यक्ति अभ्यंजित याजक हो और वह इस प्रकार प्रजा को पाप का भागी बनाये, तो उसे अपने पाप के कारण प्रायश्चित-बलि के रूप में प्रभु को एक अदोष बछड़ा अर्पित करना चाहिए।
4 वह उस बछड़े को दर्शन-कक्ष के द्वार के पास प्रभु के सामने लाये, बछड़े के सिर पर अपना हाथ रखे और प्रभु के सामने उसका वध कर दे।
5 तब अभ्यंजित याजक बछड़े का रक्त दर्शन-कक्ष के अन्दर ले जाये।
6 वह अपनी उँगली रक्त में डुबो कर उस रक्त को सात बार प्रभु के सामने, पवित्र-स्थान के अन्तरपट पर छिड़के।
7 इसके बाद याजक धूप-वेदी के सींगों पर, जो प्रभु के सामने दर्शन-कक्ष में है, रक्त लगाये। वह बछड़े का शेष रक्त दर्शन-कक्ष के द्वार के सामने की होम-बलि की वेदी के निचले भाग पर डाले।
8_10 इसके बाद वह शान्ति-बलि के बछड़े की तरह प्रायश्चित्त-बलि के बछड़े की सारी चरबी निकाले,अर्थात् अँतड़ियों के आसपास की चरबी, दोनों गुरदे तथा उन पर और कमर के पास की चरबी तथा जिगर की झिल्ली, जिसे वह गुरदों के साथ निकालता है। याजक यह सब बलि-वेदी पर भस्म कर दे।
11 बछड़े की खाल, उसका सारा मांस, उसका सिर और उसकी टाँगें, उसकी अँतड़ियाँ और उसका गोबर,
12 अर्थात् बछड़े का शेष अंश, वह शिविर के बाहर एक शुद्ध स्थान पर ले जाये और उसे राख के ऊपर लकड़ी की आग में जलाये।
13 ”यदि पूरा समुदाय अनजाने प्रभु के आदेशों का उल्लंघन करे या प्रभु द्वारा मना किया हुआ कोई काम करे और इस प्रकार दोषी बने,
14 तो पाप का पता लगते ही पूरे समुदाय को प्रायश्चित-बलि के रूप में एक साँड़ चढ़ाना चाहिए। वे उसे दर्शन-कक्ष के सामने लायें
15 और समुदाय के नेता प्रभु के सामने पशु के सिर पर अपना हाथ रखें और प्रभु के सामने पशु का वध किया जाये
16 इसके बाद अभ्यंजित याजक साँड का रक्त दर्शन-कक्ष के अन्दर ले जाये,
17 उस में अपनी उँगली डुबो कर उस रक्त को सात बार प्रभु के सामने अन्तरपट पर छिड़के।
18 तब याजक धूप-वेदी के सींगों पर, जो प्रभु के सामने दर्शन-कक्ष में हैं, रक्त लगाये। शेष रक्त वह दर्शन-कक्ष के द्वार पर की होम-बलि की वेदी के निचले भाग पर डाले।
19 वह सारी चरबी निकाल कर उसे वेदी पर भस्म करे।
20 फिर वह उस साँड के साथ वही करे, जो प्रायश्चित्त के बलि-पशु के साथ किया जाता है। इस प्रकार याजक लोगों के लिए प्रायश्चित्त की विधि सम्पन्न करता है और उन्हें क्षमा दी जाती है।
21 वह पहले पशु की तरह साँड़ को शिविर के बाहर ले जा कर उसे जलाये। यह समुदाय के पाप के लिए प्रायश्चित-बलि है।
22 “यदि कोई नेता अनजाने पाप करता है, क्योंकि वह प्रभु द्वारा मना किया हुआ काम करता है और इस प्रकार दोषी बनता है,
23 तो पाप का पता लगते ही उसे एक अदोष बकरा चढ़ाना चाहिए।
24 वह पशु के सिर पर हाथ रखे और होम-बलि के स्थान पर प्रभु के सामने पशु का वध करे। यह पाप के लिए प्रायश्चित्त-बलि है।
25 याजक अपनी उँगली से प्रायश्चित्त-बलि के रक्त में से कुछ ले कर उसे धूप-वेदी के सींगों पर लगाये। शेष रक्त वह वेदी के निचले भाग पर डाले।
26 वह शान्ति-बलि की चरबी की तरह पशु की सारी चरबी वेदी पर जलाये। इस प्रकार याजक उसके पापों के लिए प्रायश्चित्त की विधि सम्पन्न करता है और उसे क्षमा दी जाती है।
27 “यदि समुदाय का कोई सामान्य सदस्य अनजाने पाप करता है, क्योंकि वह प्रभु द्वारा मना किया हुआ काम करता है और इस प्रकार दोषी बनता है,
28 तो पाप का पता लगते ही उसे पाप के प्रायश्चित्त के लिए एक अदोष बकरा चढ़ाना चाहिए।
29 वह पशु के सिर पर हाथ रखे और होम-बलि के स्थान पर उसका वध करे।
30 याजक अपनी उँगली से उसका कुछ रक्त ले कर उसे धूप-वेदी के सींगों पर लगाये और शेष रक्त वेदी के निचले भाग पर डाले।
31 वह शान्ति-बलि की चरबी की तरह पशु की सारी चरबी निकाले और उसे वेदी पर जलाये। यह प्रभु के लिए सुगन्धयुक्त चढ़ावा है। इस प्रकार याजक उसके लिए प्रायश्चित्त की विधि सम्पन्न करता है और उसे क्षमा दी जाती है।
32 “यदि कोई प्रायश्चित्त-बलि के रूप में एक मेमना चढ़ाना चाहे, तो वह एक अदोष मादा हो।
33 वह पशु के सिर पर हाथ रखे और होम-बलि के स्थान पर प्रायश्चित्त-बलि के रूप में उसका वध करे।
34 याजक अपनी उँगली से प्रायश्चित्त-बलि के रक्त में से कुछ ले कर उसे धूप-वेदी के सींगों पर लगाये। शेष रक्त वह वेदी के निचले भाग पर डाले।
35 वह शान्ति-बलि की चरबी की तरह पशु की सारी चरबी निकाले और याजक उसे वेदी पर प्रभु को अर्पित अन्य होम-बलियों के ऊपर रख कर जलाये। इस प्रकार याजक उसके पाप के लिए प्रायश्चित्त की विधि सम्पन्न करता है और उसे क्षमा दी जाती है।