मार्च 02, 2023, गुरुवार

चालीसा काल का पहला सप्ताह

📒 पहला पाठ : एस्तेर 14:1, 3-5, 12-14

एस्तेर ने मृत्यु के भय से पीडित हो कर प्रभु की शरण ली और यह कहते हुए प्रभु, इस्राएल के ईश्वर से प्रार्थना की, “हे मेरे प्रभु! तू ही हमारा राजा है। मुझ एकाकिनी की सहायता कर। तुझे छोड कर मेरा कोई सहारा नहीं। मैं हथेली पर जान रखने जा रहीं हूँ। मुझे बचपन से ही अपने जाति-बन्धुओं से यह शिक्षा मिली है कि तूने सब राष्ट्रों में से इस्राएल को, अपनी चिरस्थायी प्रजा के रूप में अपनाया है और उन से जो-जो प्रतिज्ञा की थी, उसे पूरा करता रहा है।“

हे प्रभु! हमें याद कर। हमारी विपत्ति के समय हम पर दयादृष्टि कर। हे प्रभु! सर्वोच्च और सर्वाधिकार-सम्पन्न ईश्वर! मुझे साहस प्रदान कर। मैं सिंह के सामने उपस्थित होने जा रही हूँ। मेरे मुख में उपयुक्त शब्द रख और उसके हृदय में हमारे शत्रु का बैर उत्पन्न कर, जिससे हमारा शत्रु अपने समर्थकों के साथ नष्ट हो जाये।“

हे प्रभु! अपने हाथ से हमारी रक्षा कर और मुझे सहायता दे। हे प्रभु, तू सब कुछ जानता है – तुझे छोड़ कर मेरा कोई सहारा नहीं।“

📙 सुसमाचार : सन्त मत्ती का सुसमाचार 7:7-12

7) “माँगो और तुम्हें दिया जायेगा; ढूँढ़ों और तुम्हें मिल जायेगा; खटखटाओं और तुम्हारे लिए खोला जायेगा।

8) क्योकि जो माँगता है, उसे दिया जाता है; जो ढुँढता है, उसे मिल जाता है और जो खटखटता है, उसके लिए खोला जाता है।

9) “यदि तुम्हारा पुत्र तुम से रोटी माँगे, तो तुम में ऐसा कौन है जो उसे पत्थर देगा?

10) अथवा मछली माँगे, तो उसे साँप देगा?

11) बुरे होने पर भी यदि तुम लोग अपने बच्चों को सहज ही अच्छी चीजें देते हो, तो तुम्हारा स्वर्गिक पिता माँगने वालों को अच्छी चीजें क्यों नहीं देगा?

12) “दूसरों से अपने प्रति जैसा व्यवहार चाहते हो, तुम भी उनके प्रति वैसा ही किया करो। यही संहिता और नबियों की शिक्षा है।