मार्च 08, 2023, बुधवार
चालीसे का दूसरा सप्ताह
📒 पहला पाठ : यिरमियाह का ग्रन्थ 18:18-20
18) वे कहते हैं, “आओ! हम यिरमियाह के विरुद्ध षड्यन्त्र रचें। पुरोहितों से शिक्षा मिलती रहती है, बुद्धिमानों से सत्यपरामर्श और नबियों से भवियवाणी। आओ! हम उस पर झूठा आरोप लगायें, हम उसकी किसी भी बात पर ध्यान न दें।“
19) प्रभु! तू मेरी पुकार सुन, मेरे अभियोक्ताओं की बातों पर ध्यान दे।
20) क्या भलाई के बदले बुराई करना उचित है? वे मेरे लिए गड्ढा खोदते हैं। याद कर कि मैं उनके पक्ष में बोलने और उन पर से तेरा क्रोध दूर करने के लिए तेरे सामने खड़ा रहा।
📙 सुसमाचार : सन्त मत्ती 20:17-28
17) ईसा येरुसालेम के मार्ग पर आगे बढ रहे थे। बारहों को अलग ले जा कर उन्होंने रास्ते में उन से कहा,
18) ’’देखो, हम येरुसालेम जा रहे हैं। मानव पुत्र महायाजकों और शास्त्रियों के हवाले कर दिया जायेगा।
19) वे उसे प्राणदण्ड की आज्ञा सुना कर गैर-यहूदियों के हवाले कर देंगे, जिससे वे उसका उपहास करें, उसे कोडे़ लगायें और क्रूस पर चढायें; लेकिन तीसरे दिन वह जी उठेगा।’’
20) उस समय जेबेदी के पुत्रों की माता अपने पुत्रों के साथ ईसा के पास आयी और उसने दण्डवत् कर उन से एक निवेदन करना चाहा।
21) ईसा ने उस से कहा, ’’क्या चाहती हो?’’ उसने उत्तर दिया, ’’ये मेरे दो बेटे हैं। आप आज्ञा दीजिए कि आपके राज्य में एक आपके दायें बैठे और एक आपके बायें।’’
22) ईसा ने उन से कहा, ’’तुम नहीं जानते कि क्या माँग रहे हो। जो प्याला मैं पीने वाला हूँ, क्या तुम उसे पी सकते हो?’’ उन्होंने उत्तर दिया, ’’हम पी सकते हैं।’’
23) इस पर ईसा ने उन से कहा, ’’मेरा प्याला तुम पिओगे, किन्तु तुम्हें अपने दायें या बायें बैठने का अधिकार मेरा नहीं है। वे स्थान उन लोगों के लिए हैं, जिनके लिए मेरे पिता ने उन्हें तैयार किया है।’’
24) जब दस प्रेरितों को यह मालूम हुआ, तो वे दोनों भाइयों पर क्रुद्ध हो गये।
25) ईसा ने अपने शिष्यों को अपने पास बुला कर कहा, ’’तुम जानते हो कि संसार के अधिपति अपनी प्रजा पर निरंकुश शासन करते हैं और सत्ताधारी लोगों पर अधिकार जताते हैं।
26) तुम में ऐसी बात नहीं होगी। जो तुम लोगों में बडा होना चाहता है, वह तुम्हारा सेवक बने
27) और जो तुम में प्रधान होना चाहता है, वह तुम्हारा दास बने;
28) क्योंकि मानव पुत्र भी अपनी सेवा कराने नहीं, बल्कि सेवा करने तथा बहुतों के उद्धार के लिए अपने प्राण देने आया है।’’