संत मत्ती के अनुसार सुसमाचार
अध्याय: 1 • 2 • 3 • 4 • 5 • 6 • 7 • 8 • 9 • 10 • 11 • 12 • 13 • 14 • 15 • 16 • 17 • 18 • 19 • 20 • 21 • 22 • 23 • 24 • 25 • 26 • 27 • 28 • पवित्र बाईबल
अध्याय 12
1 ईसा किसी विश्राम के दिन गेहूँ के खेतों से हो कर जा रहे थे। उनके शिष्यों को भूख लगी और वे बालें तोड़-तोड़ कर खाने लगे।
2 यह देख कर फ़रीसियों ने ईसा से कहा, “देखिए, जो काम विश्राम के दिन मना है, आपके शिष्य वही कर रहे हैं”।
3 ईसा ने उन से कहा, “क्या तुम लोगों ने यह नहीं पढ़ा कि जब दाऊद और उनके साथियों को भूख लगी, तो दाऊद ने क्या किया था?
4 उन्होंने ईश-मन्दिर में जा कर भेंट की रोटियाँ खायीं। याजकों को छोड़ न तो उन को उन्हें खाने की आज्ञा थी और न उनके साथियों को
5 अथवा क्या तुम लोगों ने संहिता में यह नहीं पढ़ा कि याजक विश्राम के दिन का नियम तोड़ते तो हैं, पर दोषी नहीं होते?
6 मैं तुम से कहता हूँ- यहाँ वह है, जो मन्दिर से भी महान् है।
7 मैं बलिदान नहीं, बल्कि दया चाहता हूँ- यदि तुम लोगों ने इसका अर्थ समझ लिया होता, तो निर्दोषों को दोषी नहीं ठहराया होता;
8 क्योंकि मानव पुत्र विश्राम के दिन का स्वामी है।”
9 वहाँ से आगे बढ़ने पर ईसा उनके सभागृह गये।
10 वहाँ एक मनुष्य था, जिसका हाथ सूख गया था। ईसा पर दोष लगाने के लिए लोगों ने उन से यह पूछा, “क्या विश्राम के दिन चंगा करने की आज्ञा है?”
11 ईसा ने उन से कहा, “यदि तुम्हारे एक ही भेड़ हो और वह विश्राम के दिन गड्ढे में गिर जाये, तो तुम लोगों में ऐसा कौन होगा, जो उसे पकड़ कर निकाल नहीं लेगा?
12 मनुष्य तो भेड़ से कहीं बढ़ कर है। इसलिए विश्राम के दिन भलाई करने की आज्ञा है।”
13 तब उन्होंने उस मनुष्य से कहा, “अपना हाथ बढ़ाओ”। उसने अपना हाथ बढ़ाया और वह दूसरे हाथ की तरह अच्छा हो गया।
14 इस पर फ़रीसियों ने बाहर निकल कर ईसा के विरुद्ध यह परामर्श किया कि हम किस तरह उनका सर्वनाश करें।
15 ईसा यह जान कर वहाँ से चले गये। बहुत से लोग ईसा के पीछे हो लिये। वे सबों को चंगा करते थे,
16 किन्तु साथ-साथ यह चेतावनी देते थे कि तुम लोग मेरा नाम नहीं फैलाओ।
17 इस प्रकार नबी इसायस का यह कथन पूरा हुआ-
18 यह मेरा सेवक है, इसे मैंने चुना है; मेरा परम प्रिय है, मैं इस पर अति प्रसन्न हूँ। मैं इसे अपना आत्मा प्रदान करूँगा और यह ग़ैर-यहूदियों में सच्चे धर्म का प्रचार करेगा।
19 यह न तो विवाद करेगा और न चिल्लायेगा और न बाज़ारों में कोई इसकी आवाज़ सुनेगा।
20 यह न तो कुचला हुआ सरकण्डा ही तोड़ेगा और न धुँआती हुई बत्ती ही बुझायेगा, जब तक वह सच्चे धर्म को विजय तक न ले जाये।
21 इसके नाम पर ग़ैर-यहूदी भरोसा रखेंगे।
22 लोग किसी एक दिन एक अन्धे-गूँगे अपदूतग्रस्त मनुष्य को ईसा के पास ले आये। ईसा ने उसे चंगा किया और वह बोलने और देखने लगा।
23 सब लोग अचम्भे में पड़ कर यह कहते रहे, “कहीं यही तो दाऊद का पुत्र नहीं है?”
24 यह सुन कर फ़रीसियों ने कहा, “यह नरकदूतों के नायक बेलज़ेबुल की सहायता से नरकदूतों को निकालता है”।
25 ईसा ने उनके विचार जान कर उन से कहा, “जिस राज्य में फूट पड़ गयी है, वह उजड़ जाता है और जिस नगर या घर में फूट पड़ गयी है, वह टिक नहीं सकता।
26 यदि शैतान ही शैतान को निकालता है, तो उसके यहाँ फूट पड़ गयी है। तब उसका राज्य कैसे टिका रहेगा?
27 और यदि मैं बेलज़ेबुल की सहायता से नरकदूतों को निकालता हूँ, तो तुम्हारे बेटे किसकी सहायता से उन्हें निकालते हैं? इसलिए वे तुम लोगों का न्याय करेंगे।
28 परन्तु यदि मैं ईश्वर के आत्मा की सहायता से नरकदूतों को निकालता हूँ, तो निस्सन्देह ईश्वर का राज्य तुम्हारे बीच आ गया है।
29 “फिर, कौन किसी बलवान् के घर में घुस कर उसका सामान लूट सकता है, जब तक वह उस बलवान् को न बाँध ले? उसके बाद ही वह उसका घर लूट सकता है।
30 “जो मेरे साथ नहीं है, वह मेरा विरोधी है और जो मेरे साथ नहीं बटोरता, वह बिखेरता है।
31 “इसलिए मैं तुम लोगों से कहता हूँ- मनुष्यों को हर तरह के पाप और ईश निन्दा की भी क्षमा मिल जायेगी, परन्तु पवित्र आत्मा की निन्दा की क्षमा नहीं मिलेगी।
32 जो मानव पुत्र के विरुद्ध कुछ कहेगा, उसे क्षमा मिल जायेगी, परन्तु जो पवित्र आत्मा के विरुद्ध बोलेगा, उसे क्षमा नहीं मिलेगी- न इहलोक में और न परलोक में।
33 “या तो पेड़ को अच्छा मानो और उसके फल को भी, या पेड़ को बुरा मानो और उसके फल को भी। पेड़ तो अपने फल से पहचाना जाता है।
34 साँप के बच्चो! तुम बुरे हो कर अच्छी बातें कैसे कह सकते हो? जो हृदय में भरा है, वही तो मुँह से बाहर आता है।
35 अच्छा मनुष्य अपने अच्छे भण्डार से अच्छी चीज़ें निकालता है और बुरा मनुष्य अपने बुरे भण्डार से बुरी चीज़ें।
36 “मैं तुम लोगों से कहता हूँ- न्याय के दिन मनुष्यों को अपनी हर निकम्मी बात का लेखा देना पड़ेगा,
37 क्योंकि तुम अपनी ही बातों से निर्दोष या दोषी ठहराये जाओगे।“
38 उस समय कुछ शास्त्री और फ़रीसी ईसा से बोले, “गुरुवर! हम आपके द्वारा प्रस्तुत कोई चिन्ह देखना चाहते हैं”।
39 ईसा ने उन्हें उत्तर दिया, “यह दुष्ट और विधर्मी पीढ़ी एक चिन्ह माँगती है, परन्तु नबी योनस के चिन्ह को छोड़ कर इसे और कोई चिन्ह नहीं दिया जायेगा।
40 जिस प्रकार योनस तीन दिन और तीन रात मच्छ के पेट में रहा, उसी प्रकार मानव पुत्र भी तीन दिन और तीन रात पृथ्वी के गर्भ में रहेगा।
41 न्याय के दिन निनिवे के लोग इस पीढ़ी के साथ जी उठेंगे और इसे दोषी ठहरायेंगे, क्योंकि उन्होंने योनस का उपदेश सुन कर पश्चात्ताप किया था, और देखो- यहाँ वह है, जो योनस से भी महान् है।
42 न्याय के दिन दक्षिण की रानी इस पीढ़ी के साथ जी उठेगी और इसे दोषी ठहरायेगी; क्योंकि वह सुलेमान की प्रज्ञा सुनने के लिए पृथ्वी के सीमान्तों से आयी थी, और देखो- यहाँ वह है, जो सुलेमान से भी महान् है!
43 “जब अशुद्ध आत्मा किसी मनुष्य से निकलता है, तो वह विश्राम की खोज में निर्जल स्थानों में भटकता फिरता है; किन्तु उसे विश्राम नहीं मिलता।
44 तब वह कहता है- जहाँ से निकला हूँ, अपने उसी घर वापस जाऊँगा। लौटने पर वह उस घर को ख़ाली, झाड़ा-बुहारा और सजाया हुआ पाता है।
45 तब वह जा कर अपने से भी बुरे सात आत्माओं को ले आता है और वे उस घर में घुस कर वहीं बस जाते हैं। इस तरह उस मनुष्य की यह पिछली दशा पहली से भी बुरी हो जाती है। यही दशा इस दुष्ट पीढ़ी की भी होगी।”
46 ईसा लोगों को उपदेश दे रहे थे कि उनकी माता और भाई आये वे घर के बाहर थे और उन से मिलना चाहते थे।
47 किसी ने ईसा से कहा, “देखिए, आपकी माता और आपके भाई बाहर हैं। वे आप से मिलना चाहते हैं।”
48 ईसा ने उस से कहा, “कौन है मेरी माता? कौन है मेरे भाई?
49 और हाथ से अपने शिष्यों की ओर संकेत करते हुए उन्होंने कहा, “देखो, ये हैं मेरी माता और मेरे भाई!
50 क्योंकि जो मेरे स्वर्गिक पिता की इच्छा पूरी करता है, वही है मेरा भाई, मेरी बहन और मेरी माता।”