मई 07, 2023, इतवार

पास्का का पाँचवाँ इतवार

📒 पहला पाठ :प्रेरित-चरित 6:1-7

1) उन दिनों जब शिष्यों की संख्या बढ़ती जा रही थी, तो यूनानी-भाषियों ने इब्रानी-भाषियों के विरुद्ध यह शिकायत की कि रसद के दैनिक वितरण में उनकी विधवाओं की उपेक्षा हो रही है।

2) इसलिए बारहों ने शिष्यों की सभा बुला कर कहा, “यह उचित नहीं है कि हम भोजन परोसने के लिए ईश्वर का वचन छोड़ दे।

3) आप लोग अपने बीच से पवित्र आत्मा से परिपूर्ण सात बुद्धिमान् तथा ईमानदार व्यक्तियों का चुनाव कीजिए। हम उन्हें इस कार्य के लिए नियुक्त करेंगे,

4) और हम लोग प्रार्थना और वचन की सेवा में लगे रहेंगे।”

5) यह बात सबों को अच्छी लगी। उन्होंने विश्वास तथा पवित्र आत्मा से परिपूर्ण स्तेफनुस के अतिरिक्त फिलिप, प्रोख़ोरुस, निकानोर, तिमोन, परमेनास और यहूदी धर्म में नवदीक्षित अन्ताखिया-निवासी निकोलास को चुना

6) और उन्हें प्रेरितों के सामने उपस्थित किया। प्रेरितों ने प्रार्थना करने के बाद उन पर अपने हाथ रखे।

7) ईश्वर का वचन फैलता गया, येरूसालेम में शिष्यों की संख्या बहुत अधिक बढ़ने लगी और बहुत-से याजकों ने विश्वास की अधीनता स्वीकार की।

📕 दूसरा पाठ : 1 पेत्रुस 2:4-9

4) प्रभु वह जीवन्त पत्थर हैं, जिसे मनुष्यों ने तो बेकार समझ कर निकाल दिया, किन्तु जो ईश्वर द्वारा चुना हुआ और उसकी दृष्टि में मूल्यवान है।

5) उनके पास आयें और जीवन्त पत्थरों का आध्यात्मिक भवन बनें। इस प्रकार आप पवित्र याजक-वर्ग बन कर ऐसे आध्यात्मिक बलिदान चढ़ा सकेंगे, जो ईसा मसीह द्वारा ईश्वर को ग्राह्य होंगे।

6) इसलिए धर्मग्रन्थ में यह लिखा है- मैं सियोन में एक चुना हुआ मूल्यवान् कोने का पत्थर रखता हूँ और जो उस पर भरोसा रखता है, उसे निराश नहीं होना पड़ेगा।

7) आप लोगों लिए, जो विश्वास करते हैं, वह पत्थर मूल्यवान है। जो विश्वास नहीं करते, उनके लिए धर्मग्रन्थ यह कहता है- कारीगरों ने जिस पत्थर को बेकार समझ कर निकाल दिया था, वही कोने का पत्थर बन गया है,

8) ऐसा पत्थर जिस से वे ठोकर खाते हैं, ऐसे चट्टान जिस पर वे फिसल कर गिर जाते हैं। वे वचन में विश्वास करना नहीं चाहते, इसलिए वे ठोकर खा कर गिर जाते हैं। यही उनका भाग्य है।

9) परन्तु आप लोग चुने हुए वंश, राजकीय याजक-वर्ग, पवित्र राष्ट्र तथा ईश्वर की निजी प्रजा हैं, जिससे आप उसके महान् कार्यों का बखान करें, जो आप लोगों को अन्धकार से निकाल कर अपनी अलौकिक ज्योति में बुला लाया।

📙 सुसमाचार : योहन 14:1-12.

1) तुम्हारा जी घबराये नहीं। ईश्वर में विश्वास करो और मुझ में भी विश्वास करो!

2) मेरे पिता के यहाँ बहुत से निवास स्थान हैं। यदि ऐसा नहीं होता, तो मैं तुम्हें बता देता क्योंकि मैं तुम्हारे लिये स्थान का प्रबंध करने जाता हूँ।

3) मैं वहाँ जाकर तुम्हारे लिये स्थान का प्रबन्ध करने के बाद फिर आऊँगा और तुम्हें अपने यहाँ ले जाउँगा, जिससे जहाँ मैं हूँ, वहाँ तुम भी रहो।

4) मैं जहाँ जा रहा हूँ, तुम वहाँ का मार्ग जानते हो।

5 थोमस ने उन से कहा, “प्रभु! हम यह भी नहीं जानते कि आप कहाँ जा रहे हैं, तो वहाँ का मार्ग कैसे जान सकते हैं?”

6) ईसा ने उस से कहा, “मार्ग सत्य और जीवन मैं हूँ। मुझ से हो कर गये बिना कोई पिता के पास नहीं आ सकता।”

7) यदि तुम मुझे पहचानते हो, तो मेरे पिता को भी पहचानोगे। अब तो तुम लोगों ने उसे पहचाना भी है और देखा भी है।”

8) फिलिप ने उन से कहा, “प्रभु! हमें पिता के दर्शन कराइये। हमारे लिये इतना ही बहुत है।”

9) ईसा ने कहा, “फिलिप! मैं इतने समय तक तुम लोगों के साथ रहा, फिर भी तुमने मुझे नहीं पहचाना? जिसने मुझे देखा है उसने पिता को भी देखा है। फिर तुम यह क्या कहते हो- हमें पिता के दर्शन कराइये?”

10) क्या तुम विश्वास नहीं करते कि मैं पिता में हूँ और पिता मुझ में हैं? मैं जो शिक्षा देता हूँ वह मेरी अपनी शिक्षा नहीं है। मुझ में निवास करने वाला पिता मेरे द्वारा अपने महान कार्य संपन्न करता है।

11) मेरी इस बात पर विश्वास करो कि मैं पिता में हूँ और पिता मुझ में हैं, नहीं तो उन महान कार्यों के कारण ही इस बात पर विश्वास करो।

12) मैं तुम लोगो से यह कहता हूँ जो मुझ में सिवश्वास करता है, वह स्वयं वे कार्य करेगा, जिन्हें मैं करता हूँ। वह उन से भी महान कार्य करेगा। क्योंकि मैं पिता के पास जा रहा हूँ।