मई 09, 2023, मंगलवार
पास्का का पाँचवाँ सप्ताह
📒 पहला पाठ : प्रेरित-चरित 14:19-28
19) इसके बाद कुछ यहूदियों ने अन्ताखिया तथा इकोनियुम से आ कर लोगों को अपने पक्ष में मिला लिया। वे पौलुस को पत्थरों से मार कर और मरा समझ कर नगर के बाहर घसीट ले गये;
20) किन्तु जब शिष्य पौलुस के चारों ओर एकत्र हो गये, तो वह उठ खड़ा हुआ और नगर लौट आया। दूसरे दिन वह बरनाबस के साथ देरबे चल दिया।
21) उन्होंने उस नगर में सुसमाचार का प्रचार किया और बहुत शिष्य बनाये। इसके बाद वे लुस्त्रा और इकोनियुम हो कर अन्ताखिया लौटे।
22) वे शिष्यों को ढारस बँधाते और यह कहते हुए विश्वास में दृढ़ रहने के लिए अनुरोध करते कि हमें बहुत से कष्ट सह कर ईश्वर के राज्य में प्रवेश करना है।
23) उन्होंने हर एक कलीसिया में अध्यक्षों को नियुक्त किया और प्रार्थना तथा उपवास करने के बाद उन लोगों को प्रभु के हाथों सौंप दिया, जिस में वे लोग विश्वास कर चुके थे।
24) वे पिसिदिया पार कर पम्फुलिया पहुँचे
25) और पेरगे में सुसमाचार का प्रचार करने के बाद अत्तालिया आये।
26) वहाँ से वे नाव पर सवार हो कर अन्ताखिया चल दिये, जहाँ से वे चले गये थे और जहाँ लोगों ने उस कार्य के लिए ईश्वर की कृपा माँगी थी, जिसे उन्होंने अब पूरा किया था।
27) वहाँ पहुँचकर और कलसिया की सभा बुला कर वे बताते रहे कि ईश्वर ने उनके द्वारा क्या-क्या किया और कैसे गै़र-यहूदियों के लिए विश्वास का द्वार खोला।
28) वे बहुत समय तक वहाँ शिष्यों के साथ रहे।
📙 सुसमाचार : योहन 14:27-31
27) मैं तुम्हारे लिये शांति छोड जाता हूँ। अपनी शांति तुम्हें प्रदान करता हूँ। वह संसार की शांति-जैसी नहीं है। तुम्हारा जी घबराये नहीं। भीरु मत बनो।
28) तुमने मुझ को यह कहते सुना- मैं जा रहा हूँ और फिर तुम्हारे पास आऊँगा। यदि तुम मुझे प्यार करते, तो आनन्दित होते कि मैं पिता के पास जा रहा हूँ, क्योंकि पिता मुझ से महान है।
29) मैंने पहले ही तुम लोगों को यह बताया, जिससे ऐसा हो जाने पर तुम विश्वास करो।
30) अब मैं तुम लोगों से अधिक बातें नहीं करूँगा क्योंकि इस संसार का नायक आ रहा है। वह मेरा कुछ नहीं बिगाड सकता,
31) किन्तु यह आवश्यक है कि संसार जान जाये कि मैं पिता को प्यार करता हूँ और पिता ने मुझे जैसा आदेश दिया है मैं वैसा ही करता हूँ। उठो! हम यहाँ से चलें।’’