मई 15, 2023, सोमवार
पास्का का छठवाँ सप्ताह
📒 पहला पाठ : प्रेरित-चरित 16:11-15
11) त्रोआस से चल कर हम नाव पर सीधे समाथ्राके, दूसरे दिन नेआपोलिस
12) और वहाँ से फिलिप्पी पहुँचे। फिलिप्पी मकेदूनिया प्रान्त का मुख्य नगर और रोमन उपनिवेश है। हम कुछ दिन वहाँ रहे।
13) विश्राम के दिन हम यह समझ कर शहर के बाहर नदी के तट आये कि वहाँ कोई प्रार्थनागृह होगा। हम बैठ गये और वहाँ एकत्र स्त्रियों से बातचीत करते रहे।
14) सुनने वाली महिलाओं में एक का नाम लुदिया था और वह थुआतिरा नगर की रहने वाली थी। वह बैंगनी कपड़ों का व्यापार करती और ईश्वर पर श्रद्धा रखती थी। प्रभु ने उसके हृदय का द्वार खोल दिया और उसने पौलुस की शिक्षा स्वीकार कर ली।
15) सपरिवार बपतिस्मा ग्रहण करने के बाद लुदिया ने हम से यह अनुरोध किया, ’’आप लोगों ने माना है कि मैं सचमुच प्रभु में विश्वास करती हूँ, तो आइए, मेरे यहाँ ठहरिए’’। और उसने इसके लिए बहुत आग्रह किया।
📙 सुसमाचार : योहन 15:26-16:4
15:26) जब वह सहायक, पिता के यहाँ से आने वाला वह सत्य का आत्मा आयेगा, जिसे मैं पिता के यहाँ से तुम लोगो के पास भेजूगाँ तो वह मेरे विषय में साक्ष्य देगा।
27) और तुम लोग भी साक्ष्य दोगे, क्योंकि तुम प्रारंभ से मेरे साथ रहे हो।
16:1) मैंने तुम लोगो से यह इसीलिये कहा है कि तुम विचलित नहीं हो।
2) वे तुम्हें सभागृहों से निकाल देंगे। इतना ही नहीं, वह समय आ रहा है, जब तुम्हारी हत्या करने वाला यह समझेगा कि वह ईश्वर की सेवा कर रहा है।
3) वे यह सब इसीलिये करेंगे कि उन्होंने न तो पिता को पहचाना है और न मुझ को।
4) मैंने तुम लोगों से यह इसलिये कहा है कि समय आने पर तुम्हें यह स्मरण रहे कि मैंने तुम्हें पहले ही सचेत किया था।