गणना ग्रन्थ

अध्याय : 12345678910111213141516171819202122 •  2324252627282930313233343536 पवित्र बाईबल

अध्याय 5

1 प्रभु ने मूसा से कहा,
2 ”इस्राएलियों से कहो कि यदि कोई पुरुष या स्त्री अपने को प्रभु के प्रति अर्पित करने का ‘नाज़ीर’ नामक विशिष्ट व्रत लेना चाहे,
3 तो वह अंगूरी ओर अन्य मादक पेयों से परहेज़ करे। वह अंगूरी अथवा अन्य मादक पेय से बनाया हुआ सिरका नहीं पिये, वह दाखरस भी नहीं पिये और न ताज़े या सुखाये अंगूर खाये।
4 वह अपने नाज़ीर-व्रत की पूरी अवधि में दाखलता की उपज से कुछ नहीं खाये, अंगूरों के बीज अथवा छिलके भी नहीं।
5 उसके नाज़ीर-व्रत की अवधि में उस्तरा उसके सिर का स्पर्श नहीं करे। जब तक उसके व्रत की अवधि पूरी न हो जाये, वह पवित्र माना जाये और अपने सिर के बाल नहीं काटे।
6 वह अपने व्रत की अवधि में किसी शव का स्पर्श नहीं करे।
7 वह अपने पिता, अपनी माता, अपने भाई-बहन के मरने पर उनके शवों के स्पर्श द्वारा अपने को अपवित्र नहीं होने दे; क्योंकि उसने प्रभु के प्रति अपने समर्पण का प्रतीक अपने सिर पर धारण किया है।
8 वह अपने व्रत की पूरी अवधि में प्रभु को समर्पित माना जाये।
9 ”यदि अचानक किसी की मृत्यु उसकी उपस्थिति में हो गयी हो और इस प्रकार उसके समर्पित बाल अपवित्र हो गये हों, तो वह अपने शुद्वीकरण के दिन, अर्थात् सातवें दिन अपना सिर मुड़वा ले।
10 वह आठवें दिन दर्शन-कक्ष के द्वार पर याजक के पास दो पण्डुक या दो कबूतर ले आये।
11 याजक उन में एक को प्रायश्चित-बलि के रूप में और दूसरे को होम-बलि के रूप में चढ़ाये और इस प्रकार वह मृतक के कारण उसके दोष की प्रायश्चित-विधि सम्पन्न करे। उसी दिन वह फिर अपना सिर पवित्र करेगा।
12 वह अपने को अपने व्रत की पूरी अवधि के लिए प्रभु को फिर अर्पित करे और प्रायश्चित-बलि के रूप में एक वर्ष का एक मेमना ले आये। उसके व्रत के बीते दिन व्यर्थ हैं, क्योंकि उसका व्रत अपवित्र हो गया है।
13 “यह विधि नाज़ीर-व्रती के लिए है : जिस दिन उसके व्रत की अवधि समाप्त हो, उस दिन वह दर्शन-कक्ष के द्वार पर लाया जाये।
14 वह प्रभु के लिए यह चढ़ावा ले आये – होम बलि के लिए एक वर्ष का एक अदोष नर मेमना, प्रायश्चित-बलि के लिए एक वर्ष की एक अदोष मादा मेमना, शान्ति-बलि के लिए एक अदोष मेढ़ा;
15 टोकरी-भर मैदे की बेख़मीर रोटियाँ, तेल-मिश्रित चपातियाँ, तेल से चुपड़ी बेख़मीर पतली रोटियाँ, साथ-साथ आवश्यक अन्न-बलियाँ और अर्घ-बलियाँ।
16 याजक ये चढ़ावे प्रभु को अर्पित कर प्रायश्चित-बलि और होम बलि की विधि सम्पन्न करे।
17 वह शान्ति-बलि के रूप में प्रभु को बेख़मीर रोटियों की टोकरी के साथ मेढ़ा चढ़ाये। वह उसके लिए आवश्यक अन्न-बलि और अर्ध-बलि भी चढ़ाये।
18 तब नाज़ीर-व्रती दर्शन-कक्ष के द्वार पर प्रभु को समर्पित अपने बाल मुड़वाये और उन्हें शान्ति-बलि की अग्नि में जलाये।
19 इसके बाद याजक मेढ़े का उबाला हुआ कन्धा और टोकरी से एक बेख़मीर रोटी और चपाती उसके हाथ में रख दे।
20 तब याजक उन्हें हिला-हिला कर प्रभु को अर्पित करेगा। वे पवित्र हैं और उन पर याजक का अधिकार है। बलि-पशु की छाती और जाँघ भी याजक को मिलती है। इसके बाद वह फिर अंगूरी पी सकता है।
21 ”यह नाज़ीर-व्रत की विधि है और धारण करने वाले को प्रभु को यह चढ़ावा अर्पित करना है। इसके सिवा वह जो चाहता है, अर्पित कर सकता है। उसने नाज़ीर-व्रत के अनुसार जो मन्नत की है, वह उसे पूरा करेगा।”
22 प्रभु ने मूसा से कहा,
23 ”हारून और उसके पुत्रों से कहो – तुम इस्राएलियों को आशीर्वाद देते समय यह कहोगे :
24 ‘प्रभु तुम लोगों को आशीर्वाद प्रदान करे और सुरक्षित रखे।
25 ‘प्रभु तुम लोगों पर प्रसन्न हो और तुम पर दया करे।
26 ‘प्रभु तुम लोगों पर दयादृष्टि करे और तुम्हें शान्ति प्रदान करे।’
27 वे इस प्रकार इस्राएलियों के लिए मुझ से प्रार्थना करें और मैं उन्हें आशीर्वाद प्रदान करूँगा।”
28.यदि उस स्त्री ने अपराध नहीं किया और उसका आचरण निर्दोष रहा, तब उसे कुछ नहीं होगा और वह गर्भ धारण कर सकेगी।
29.”यह ईर्ष्या की विधि है, जब कोई स्त्री पथभ्रष्ट और पति के रहते अपवित्र हो जाती है
30 अथवा यदि पति के मन में ईर्ष्या उत्पन्न हो जाती है, क्योंकि वह अपनी पत्नी पर सन्देह करता है। वह उसे प्रभु के सामने उपस्थित करेगा और याजक उसके साथ वही करेगा, जो यहाँ लिखा है।
31 पुरुष को अपराध नहीं लगता, पर स्त्री अपने अपराध का फल भोगेगी।”