14 अक्टूबर 2022
वर्ष का अट्ठाइसवाँ सामान्य सप्ताह, शुक्रवार
पहला पाठ : एफ़ेसियों के नाम सन्त पौलुस का पत्र 1:11-14
11 (11-12) ईश्वर सब बातों में अपने मन की योजना पूरी करता है। उसके अनुसार उसने निर्धारित किया है कि हम (यहूदी) मसीह द्वारा बुलाये जायें और हम लोगों के कारण उसकी महिमा की स्तुति हो। हम लोगों ने तो सब से पहले मसीह पर भरोसा रखा था।
13) आप लोगों ने भी सत्य का वचन, अपनी मुक्ति का सुसमाचार, सुनने के बाद मसीह में विश्वास किया है और आप पर उस पवित्र आत्मा की मुहर लग गयी, जिसकी प्रतिज्ञा की गयी थी।
14) वह हमारी विरासत का आश्वासन है और ईश्वर की प्रजा की मुक्ति की तैयारी, जिससे उसकी महिमा की स्तुति हो।
📙 सुसमाचार : सन्त लूकस का सुसमाचार 12:1-7
1) उस समय भीड़़ इतनी बढ़ गयी थी कि लोग एक दूसरे को कुचल रहे थे। ईसा मुख्य रूप से अपने शिष्यों से यह कहने लगे, ’’फ़रीसियों के कपटरूपी ख़मीर से सावधान रहो।
2) ऐसा कुछ भी गुप्त नहीं है, जो प्रकाश में नहीं लाया जायेगा और ऐसा कुछ भी छिपा हुआ नहीं है, जो प्रकट नहीं किया जायेगा।
3) तुमने जो अँधेरे में कहा है, वह उजाले में सुना जायेगा और तुमने जो एकान्त में फुसफुसा कर कहा है, वह पुकार-पुकार कर दुहराया जायेगा।
4) ’’मैं तुम, अपने मित्रों से कहता हूँ-जो लोग शरीर को मार डालते हैं, परन्तु उसके बाद और कुछ नहीं कर सकते, उन से नहीं डरो।
5) मैं तुम्हें बताता हूँ कि किस से डरना चाहिए। उस से डरो, जिसका मारने के बाद नरक में डालने का अधिकार है। हाँ, मैं तुम से कहता हूँ, उसी से डरो।
6) ’’क्या दो पैसे में पाँच गोरैया नहीं बिकतीं? फिर भी ईश्वर उन में एक को भी नहीं भुलाता है।
7) हाँ, तुम्हारे सिर का बाल-बाल गिना हुआ है। इसलिए नहीं डरो। तुम बहुतेरी गौरैयों से बढ़ कर हो।