21 अक्टूबर 2022
वर्ष का उन्तीसवाँ सामान्य सप्ताह, शुक्रवार
पहला पाठ : एफ़ेसियों के नाम सन्त पौलुस का पत्र 4:1-6
1) ईश्वर ने आप लोगों को बुलाया है। आप अपने इस बुलावे के अनुसार आचरण करें – यह आप लोगों से मेरा अनुरोध है, जो प्रभु के कारण कै़दी हूँ।
2) आप पूर्ण रूप से विनम्र, सौम्य तथा सहनशील बनें, प्रेम से एक दूसरे को सहन करें
3) और शान्ति के सूत्र में बँध कर उस एकता को बनाये रखने का प्रयत्न करते रहें, जिसे पवित्र आत्मा प्रदान करता है।
4) एक ही शरीर है, एक ही आत्मा और एक ही आशा, जिसके लिए आप लोग बुलाये गये हैं।
5) एक ही प्रभु है, एक ही विश्वास और एक ही बपतिस्मा।
6) एक ही ईश्वर है, जो सबों का पिता, सब के ऊपर, सब के साथ और सब में व्याप्त है।
📙 सुसमाचार : सन्त लूकस का सुसमाचार 12:54-59
54) ईसा ने लोगों से कहा, “यदि तुम पश्चिम से बादल उमड़ते देखते हो, तो तुरन्त कहते हो, ’वर्षा आ रही है‘ और ऐसा ही होता है,
55) जब दक्षिण की हवा चलती है, तो कहते हो, ’लू चलेगी’ और ऐसा ही होता है।
56 ढोंगियों! यदि तुम आकाश और पृथ्वी की सूरत पहचान सकते हो, तो इस समय के लक्षण क्यों नहीं पहचानते?
57) ’’तुम स्वयं क्यों नहीं विचार करते कि उचित क्या है?
58) जब तुम अपने मुद्यई के साथ कचहरी जा रहे हो, तो रास्ते में ही उस से समझौता करने की चेष्टा करो। कहीं ऐसा न हो कि वह तुम्हें न्यायकर्ता के पास खींच ले जाये और न्यायकर्ता तुम्हें प्यादे के हवाले कर दे और प्यादा तुम्हें बन्दीगृह में डाल दे।
59) मैं तुम से कहता हूँ, जब तक कौड़ी-कौड़ी न चुका दोगे, तब तक वहाँ से नहीं निकल पाओगे।’’