24 अक्टूबर 2022

वर्ष का तीसवाँ सामान्य सप्ताह, सोमवार

पहला पाठ : एफ़ेसियों के नाम सन्त पौलुस का पत्र 4:32-5:8

32) एक दूसरे के प्रति दयालु तथा सहृदय बनें। जिस तरह ईश्वर ने मसीह के कारण आप लोगों को क्षमा कर दिया, उसी तरह आप भी एक दूसरे को क्षमा करें।

1) आप लोग ईश्वर की प्रिय सन्तान हैं, इसलिए उसका अनुसरण करें

2) और प्रेम के मार्ग पर चलें, जिस तरह मसीह ने आप लोगों को प्यार किया और सुगन्धित भेंट तथा बलि के रूप में ईश्वर के प्रति अपने को हमारे लिए अर्पित कर दिया।

3) जैसा कि सन्तों के लिए उचित है, आप लोगों के बीच किसी प्रकार के व्यभिचार और अशुद्धता अथवा लोभ की चर्चा तक न हो,

4) और न भद्यी, मूर्खतापूर्ण या अश्लील बातचीत; क्योंकि यह अशोभनीय है- बल्कि आप ईश्वर को धन्यवाद दिया करें।

5) आप लोग यह निश्चित रूप से जान लें कि कोई व्यभिचारी, लम्पट या लोभी – जो मूर्तिपूजक के बराबर है- मसीह और ईश्वर के राज्य का अधिकारी नहीं होगा।

6) कोई निरर्थक तर्कों से आप लोगों को धोखा न दे। इन बातों के कारण ईश्वर का क्रोध विद्रोही लोगों पर आ पड़ता है।

7) इसलिए उन लोगों से कोई सम्बन्ध न रखें।

8) आप लोग पहले ’अन्धकार’ थे, अब प्रभु के शिष्य होने के नाते ’ज्योति’ बन गये हैं। इसलिए ज्योति की सन्तान की तरह आचरण करें।

📙 सुसमाचार : सन्त लूकस का सुसमाचार 13:10-17

10) ईसा विश्राम के दिन किसी सभागृह में शिक्षा दे रहे थे।

11) वहाँ एक स्त्री आयी, जो अपदूत लग जाने के कारण अठारह वर्षों से बीमार थी। वह एकदम झुक गयी थी और किसी भी तरह सीधी नहीं हो पाती थी।

12) ईसा ने उसे देख कर अपने पास बुलाया और उस से कहा, ’’नारी! तुम अपने रोग से मुक्त हो गयी हो’’

13) और उन्होंने उस पर हाथ रख दिये। उसी क्षण वह सीधी हो गयी और ईश्वर की स्तुति करती रही।

14) सभागृह का अधिकारी चिढ़ गया, क्योंकि ईसा ने विश्राम के दिन उस स्त्री को चंगा किया था। उसने लोगों से कहा, ’’छः दिन हैं, जिन में काम करना उचित है। इसलिए उन्हीं दिनों चंगा होने के लिए आओ, विश्राम के दिन नहीं।’’

15) परन्तु प्रभु ने उसे उत्तर दिया, ’’ढोंगियो! क्या तुम में से हर एक विश्राम के दिन अपना बैल या गधा थान से खोल कर पानी पिलाने नहीं ले जाता?

16) शैतान ने इस स्त्री, इब्राहीम की इस बेटी को इन अठारह वर्षों से बाँध रखा था, तो क्या इसे विश्राम के दिन उस बन्धन से छुड़ाना उचित नहीं था?’’

17) ईसा के इन शब्दों से उनके सब विरोधी लज्जित हो गये; लेकिन सारी जनता उनके चमत्कार देख कर आनन्दित होती थी।