25 अक्टूबर 2022

वर्ष का तीसवाँ सामान्य सप्ताह, मंगलवार

पहला पाठ : एफ़ेसियों के नाम सन्त पौलुस का पत्र 5:21-33

21) हम मसीह के प्रति श्रद्धा रखने के कारण एक दूसरे के अधीन रहें।

22) पत्नी प्रभु जैसे अपने पति के अधनी रहे।

23) पति उसी तरह पत्नी का शीर्ष है, जिस तरह मसीह कलीसिया के शीर्ष हैं और उसके शरीर के मुक्तिदाता।

24) जिस तरह कलीसिया मसीह के अधीन रहती है, उसी तरह पत्नी को भी सब बातों में अपने पति के अधीन रहना चाहिए।

25) पतियो! अपनी पत्नी को उसी तरह प्यार करो, जिस तरह मसीह ने कलीसिया को प्यार किया। उन्होंने उसके लिए अपने को अर्पित किया,

26) जिससे वह उसे पवित्र कर सकें और वचन तथा जल के स्नान द्वारा शुद्ध कर सकें;

27) क्योंकि वह एक ऐसी कलीसिया अपने सामने उपस्थित करना चाहते थे, जो महिमामय हो, जिस में न दाग हो, न झुर्री और न कोई दूसरा दोष, जो पवित्र और निष्कलंक हो।

28) पति अपनी पत्नी को इस तरह प्यार करे, मानो वह उसका अपना शरीर हो।

29) कोई अपने शरीर से बैर नहीं करता। उल्टे, वह उसका पालन-पोषण करता और उसकी देख-भाल करता रहता है। मसीह कलीसिया के साथ ऐसा करते हैं,

30) क्योंकि हम उनके शरीर के अंग हैं।

31) धर्मग्रन्थ में लिखा है- पुरुष अपने माता-पिता को छोड़ेगा और अपनी पत्नी के साथ रहेगा और वे दोनों एक शरीर हो जायेंगे।

32) यह एक महान रहस्य है। मैं समझता हूँ कि यह मसीह और कलीसिया के सम्बन्ध की ओर संकेत करता है।

33) जो भी हो, आप लोगों में हर एक अपनी पत्नी को अपने समान प्यार करे और पत्नी अपने पति का आदर करे।

📙 सुसमाचार : सन्त लूकस का सुसमाचार 13:18-21

18) ईसा ने कहा, ’’ईश्वर का राज्य किसके सदृश है? मैं इसकी तुलना किस से करूँ?

19) वह उस राई के दाने के सदृश है, जिसे ले कर किसी मनुष्य ने अपनी बारी में बोया। वह बढ़ते-बढ़ते पेड़ हो गया और आकाश के पंछी उसकी डालियों में बसेरा करने आये।’’

20) उन्होंने फिर कहा, ’’मैं ईश्वर के राज्य की तुलना किस से करूँ?

21) वह उस ख़मीर के सदृश है, जिसे ले कर किसी स्त्री ने तीन पंसेरी आटे में मिलाया और सारा आटा ख़मीर हो गया।’’