09 अक्टूबर 2022

ववर्ष का अट्ठाइसवाँ सामान्य सप्ताह, रविवार

पहला पाठ : 2राजाओं 5:14-17

14) इसलिए जैसा कि एलीशा ने उस से कहा था, उसने जा कर यर्दन नदी में सात बार डुबकी लगायी और उसका शरीर फिर छोटे बालक के शरीर-जैसा स्वच्छ हो गया।

15) वह अपने सब परिजनों के साथ एलीशा के यहाँ लौटा। वह भीतर जा कर उसके सामने खड़ा हो गया और बोला, “अब मैं जान गया हूँ कि इस्राएल को छोड़ कर और कहीं पृथ्वी पर कोई देवता नहीं है। अब मेरा निवेदन है कि आप अपने सेवक से कोई उपहार स्वीकार करें।”

16) एलीशा ने उत्तर दिया, “उस प्रभु की शपथ, जिसकी मैं सेवा करता हूँ! मैं कुछ भी स्वीकार नहीं करूँगा”। नामान के अनुरोध करने पर भी उसने स्वीकार नहीं किया।

17) तब नामान ने कहा, “जैसी आपकी इच्छा। आज्ञा दीजिए कि मुझे दो खच्चरों का बोझ मिट्टी मिल जाये, क्योंकि मैं अब से प्रभु को छोड़ कर किसी और देवता को होम अथवा बलि नहीं चढ़ाऊँगा।

📒 दूसरा पाठ : 2तिमथी 2:8-3

8) दाऊद के वंश में उत्पन्न, मृतकों में से पुनर्जीवित ईसा मसीह को बराबर याद रखो- यह मेरे सुसमाचार का विषय है।

9) मैं इस सुसमाचार की सेवा में कष्ट पाता हूँ और अपराधी की तरह बन्दी हूँ;

10) मैं चुने हुए लोगों के लिए सब कुछ सहता हूँ, जिससे वे भी ईसा मसीह द्वारा मुक्ति तथा सदा बनी रहने वाली महिमा प्राप्त करें।

11) यह कथन सुनिश्चित है- यदि हम उनके साथ मर गये, तो हम उनके साथ जीवन भी प्राप्त करेंगे।

12) यदि हम दृढ़ रहे, तो उनके साथ राज्य करेंगे। यदि हम उन्हें अस्वीकार करेंगे, तो वह भी हमें अस्वीकार करेंगे।

13) यदि हम मुकर जाते हैं, तो भी वह सत्य प्रतिज्ञ बने रहेंगे; क्योंकि वह अपने स्वभाव के विरुद्ध नहीं जा सकते।

📙सुसमाचार : सन्त लूकस 17:11-19

11) ईसा येरूसालेम की यात्रा करते हुए समारिया और गलीलिया के सीमा-क्षेत्रों से हो कर जा रहे थे।

12) किसी गाँव में प्रवेश करने पर उन्हें दस कोढ़ी मिले,

13) जो दूर खड़े हो गये और ऊँचे स्वर से बोले, “ईसा! गुरूवर! हम पर दया कीजिए”।

14) ईसा ने उन्हें देख कर कहा, “जाओ और अपने को याजकों को दिखलाओ”, और ऐसा हुआ कि वे रास्ते में ही नीरोग हो गये।

15) तब उन में से एक यह देख कर कि वह नीरोग हो गया है, ऊँचे स्वर से ईश्वर की स्तुति करते हुए लौटा।

16) वह ईसा को धन्यवाद देते हुए उनके चरणों पर मुँह के बल गिर पड़ा, और वह समारी था।

17) ईसा ने कहा, “क्या दसों नीरोग नहीं हुए? तो बाक़ी नौ कहाँ हैं?

18) क्या इस परदेशी को छोड़ और कोई नहीं मिला, जो लौट कर ईश्वर की स्तुति करे?”

19) तब उन्होंने उस से कहा, “उठो, जाओ। तुम्हारे विश्वास ने तुम्हारा उद्धार किया है।”