स्तोत्र ग्रन्थ

अध्याय : 1234567891011121314151617181920212223242526272829303132333435363738394041424344454647484950515253 54555657585960616263646566676869707172737475767778798081828384858687888990919293949596979899100101102103104105106107108109 110111112113114115116117118119120121122123124125126127128129130131132133134135136137138139140141142143144145146147148149150पवित्र बाईबल

स्तोत्र 1

1 धन्य है वह मनुष्य, जो दुष्टों की सलाह नहीं मानता, पापियों के मार्ग पर नहीं चलता और अधर्मियों के साथ नहीं बैठता,

2 जो प्रभु का नियम-हृदय से चाहता और दिन-रात उसका मनन करता है!

3 वह उस वृक्ष के सदृश है, जो जलस्रोत के पास लगाया गया, जो समय पर फल देता है, जिसके पत्ते कभी मुरझाते नहीं। वह मनुष्य जो भी करता है, सफल होता है।

4 दुष्ट जन ऐसे नहीं होते, नहीं होते; वे पवन द्वारा छितरायी भूसी के सदृश हैं।

5 न्याय के दिन दुष्ट नहीं टिकेंगे, पापियों को धर्मियों की सभा में स्थान नहीं मिलेगा;

6 क्योंकि प्रभु धर्मियों के मार्ग की रक्षा करता है, किन्तु दुष्टों का मार्ग विनाश की ओर ले जाता है।