स्तोत्र ग्रन्थ

अध्याय : 1234567891011121314151617181920212223242526272829303132333435363738394041424344454647484950515253 54555657585960616263646566676869707172737475767778798081828384858687888990919293949596979899100101102103104105106107108109 110111112113114115116117118119120121122123124125126127128129130131132133134135136137138139140141142143144145146147148149150पवित्र बाईबल

स्तोत्र 101

1 मैं दया और न्याय का गीत गाऊँगा। प्रभु! मैं तेरे आदर में भजन सुनाऊँगा।

2 मैंने सन्मार्ग पर चलने की ठानी है। तू कब मेरे पास आयेगा? मैं अपने घर के आँगन में शुद्ध हृदय से जीवन बिताऊँगा।

3 मैं अपनी आँखों के सामने कोई भी बुराई सहन नहीं करूँगा। मैं पथभ्रष्टों के आचरण से घृणा करता हूँ, वह मुझे आकर्षित नहीं कर सकता।

4 मैं अपने को कुटिलता से दूर रखूँगा। मैं बुराई की उपेक्षा करूँगा।

5 जो छिप कर अपने पड़ोसी की निन्दा करता है, मैं उसे चुप रहने के लिए विवश करूँगा। जो इठलाता और घमण्ड करता है, मैं उसे अपने पास नहीं रहने दूँगा।

6 मेरी कृपादृष्टि देश-भक्तों पर बनी रहती है, वे मेरे आसपास निवास करें। जो सन्मार्ग पर चलता है, वही मेरा सेवक हो सकता है।

7 जो छल-कपट करता है, वह मेरे यहाँ नहीं रह पायेगा। जो झूठ बोलता है, वह मेरी आँखों के सामने नहीं टिकेगा।

8 मैं प्रतिदिन प्रातः देश के सब दुष्टों को चुप करूँगा। मैं प्रभु के नगर से सब कुकर्मियों को निकाल दूँगा।