स्तोत्र ग्रन्थ

अध्याय : 1234567891011121314151617181920212223242526272829303132333435363738394041424344454647484950515253 54555657585960616263646566676869707172737475767778798081828384858687888990919293949596979899100101102103104105106107108109 110111112113114115116117118119120121122123124125126127128129130131132133134135136137138139140141142143144145146147148149150पवित्र बाईबल

स्तोत्र 103

1 मेरी आत्मा! प्रभु को धन्य कहो। मेरे अन्तरतम! उसके पवित्र नाम स्तुति करो।

2 मेरी आत्मा! प्रभु को धन्य कहो और उसका एक भी वरदान कभी नहीं भुलाओ।

3 वह तेरे सभी अपराध क्षमा करता और तेरी सारी दुर्बलताएँ दूर करता है।

4 वह तुझे सर्वनाश से बचाता और दया और अनुकम्पा से सँभालता है।

5 वह जीवन भर तुझे सुख-शान्ति प्रदान करता और तुझे गरूड़ की तरह चिरंजीवी बनाता है।

6 प्रभु न्यायपूर्वक शासन करता और सब पददलितों का पक्ष लेता है।

7 उसने मूसा को अपने मार्ग दिखाये और इस्राएल को अपने महान् कार्य।

8 प्रभु दया और अनुकम्पा से परिपूर्ण हैं; वह सहनशील और अत्यन्त प्रेममय है।

9 वह सदा दोष नहीं देता और चिरकाल तक क्रोध नहीं करता।

10 वह न तो हमारे पापों के अुनसार हमारे साथ व्यवहार करता और न हमारे अपराधों के अनुसार हमें दण्ड देता है।

11 आकाश पृथ्वी के ऊपर जितना ऊँचा है, उतना महान् है, अपने भक्तों के प्रति प्रभु का प्रेम।

12 पूर्व पश्चिम से जितना दूर है, प्रभु हमारे पापों को हम से उतना ही दूर कर देता है।

13 पिता जिस तरह अपने पुत्रों पर दया करता है, प्रभु उसी तरह अपने भक्तों पर दया करता है;

14 क्योंकि वह जानता है कि हम किस चीज़ के बने हैं; उसे याद रहता है कि हम मिट्टी हैं।

15 मनुष्य के दिन घास की तरह हैं वह खेत के फूल की तरह खिलता है।

16 हवा का झोंक़ा लगते ही वह चला जाता है और फिर कभी नहीं दिखाई देता है।

17 किन्तु प्रभु-भक्तों के लिए उसकी कृपा और उनके पुत्र-पोत्रों के लिए उसकी न्यायप्रियता सदा-सर्वदा बनी रहती है;

18 उनके लिए, जो उसके विधान पर चलते हैं, जो उसकी आज्ञाएँ याद कर उनका पालन करते हैं।

19 प्रभु ने स्वर्ग में अपना सिंहासन स्थापित किया है। वह विश्वमण्डल का शासन करता है।

20 प्रभु के शक्तिशाली दूतो! तुम सब, जो उसकी वाणी सुनते ही उसकी आज्ञाओं का पालन करते हो, प्रभु को धन्य कहो।

21 विश्वमण्डल! प्रभु को धन्य कहो। प्रभु के आज्ञाकारी सेवको! प्रभु को धन्य कहो।

22 प्रभु की समस्त कृतियो! उसके राज्य में सर्वत्र प्रभु को धन्य कहो। मेरी आत्मा! प्रभु को धन्य कहो।