स्तोत्र ग्रन्थ

अध्याय : 1234567891011121314151617181920212223242526272829303132333435363738394041424344454647484950515253 54555657585960616263646566676869707172737475767778798081828384858687888990919293949596979899100101102103104105106107108109 110111112113114115116117118119120121122123124125126127128129130131132133134135136137138139140141142143144145146147148149150पवित्र बाईबल

स्तोत्र 113

1 अल्लेलूया! प्रभु के सेवको! स्तुतिगान करो! प्रभु के नाम की स्तुति करो!

2 धन्य है प्रभु का नाम, अभी और अनन्त काल तक!

3 सूर्योदय से सूर्यास्त तक प्रभु के नाम की स्तुति हो।

4 प्रभु सभी राष्ट्रों का शासक है। उसकी महिमा आकाश से भी ऊँची है।

5 हमारे प्रभु-ईश्वर के सदृश कौन? वह उच्च सिंहासन पर विराजमान हो कर

6 स्वर्ग और पृथ्वी, दोनों पर दृष्टि रखता है।

7 वह धूल में से दीन को और कूड़े पर से दरिद्र को ऊपर उठाता है।

8 वह उन्हें शासकों के साथ बैठाता है, अपनी प्रजा के शासकों के साथ।

9 वह वन्ध्या को आनन्द प्रदान कर उसे पुत्रवती माता के रूप में घर में बसाता है।