स्तोत्र ग्रन्थ

अध्याय : 1234567891011121314151617181920212223242526272829303132333435363738394041424344454647484950515253 54555657585960616263646566676869707172737475767778798081828384858687888990919293949596979899100101102103104105106107108109 110111112113114115116117118119120121122123124125126127128129130131132133134135136137138139140141142143144145146147148149150पवित्र बाईबल

स्तोत्र 121

1 मैं अपनी आँखें पर्वतों की ओर उठता हूँ। क्या वहाँ से मुझे सहायता मिलेगी?

2 जिसने स्वर्ग और पृथ्वी को बनाया है, वही प्रभु मेरी सहायता करता है।

3 वह तुम्हारा पैर फिसलने न दे, तुम्हारा रक्षक न सोये।

4 नहीं, इस्राएल का रक्षक न तो सोता है और न झपकी लेता है।

5 प्रभु ही तुम्हारा रक्षक है। वह छाया की तरह तुम्हारे दाहिने रहता है।

6 न तो दिन में सूर्य से तुम्हारी कोई हानि होगी और न रात में चन्द्रमा से।

7 प्रभु तुम्हें हर बुराई से बचायेगा, वह तुम्हारी आत्मा की रक्षा करेगा।

8 तुम जहाँ कहीं भी जाओगे, प्रभु तुम्हारी रक्षा करेगा, अभी और अनन्त काल तक।