स्तोत्र ग्रन्थ

अध्याय : 1234567891011121314151617181920212223242526272829303132333435363738394041424344454647484950515253 54555657585960616263646566676869707172737475767778798081828384858687888990919293949596979899100101102103104105106107108109 110111112113114115116117118119120121122123124125126127128129130131132133134135136137138139140141142143144145146147148149150पवित्र बाईबल

स्तोत्र 126

1 जब प्रभु ने सियोन के निर्वासितों को लौटाया, तो हमें लगा कि हम स्वप्न देख रहे हैं।

2 हमारे मुख पर हँसी खिल उठी, हम आनन्द के गीत गाने लगे। गै़र-यहूदी आपस में यह कहते थे: “प्रभु ने उनके लिए अपूर्व कार्य किये हैं”।

3 उसने वास्तव में हमारे लिए अपूर्व कार्य किये हैं और हम आनन्दित हो उठे।

4 प्रभु! मरुभूमि की नदियों की तरह हमारे निर्वासितों को लौटा दे।

5 जो रोते हुए बीज बोते हैं, वे गाते हुए लुनते हैं,

6 जो बीज ले कर जाते हैं, जो रोते हुए जाते हैं, वे पूले लिये लौटते हैं, वे गाते हुए लौटते हैं।