स्तोत्र ग्रन्थ

अध्याय : 1234567891011121314151617181920212223242526272829303132333435363738394041424344454647484950515253 54555657585960616263646566676869707172737475767778798081828384858687888990919293949596979899100101102103104105106107108109 110111112113114115116117118119120121122123124125126127128129130131132133134135136137138139140141142143144145146147148149150पवित्र बाईबल

स्तोत्र 130

1 प्रभु! गहरे गर्त में से मैं तेरी दुहाई देता हूँ।

2 प्रभु! मेरी पुकार सुन, मेरी विनती पर ध्यान दे।

3 प्रभु! यदि तू हमारे अपराधों को याद रखेगा, तो कौन टिका रहेगा?

4 तू पापों को क्षमा करता है, इसलिए लोग तुझ पर श्रद्धा रखते हैं।

5 मैं प्रभु की प्रतीक्षा करता हूँ। मेरी आत्मा उसकी प्रतिज्ञा पर भरोसा रखती है।

6 भोर की प्रतीक्षा करने वाले पहरेदारों से भी अधिक मेरी आत्मा प्रभु की राह देखती है।

7 इस्राएल! प्रभु पर भरोसा रखो; क्योंकि दयासागर प्रभु उदारतापूर्वक मुक्ति प्रदान करता है।

8 वही इस्राएल का उसके सब अपराधों से उद्धार करेगा।