स्तोत्र ग्रन्थ

अध्याय : 1234567891011121314151617181920212223242526272829303132333435363738394041424344454647484950515253 54555657585960616263646566676869707172737475767778798081828384858687888990919293949596979899100101102103104105106107108109 110111112113114115116117118119120121122123124125126127128129130131132133134135136137138139140141142143144145146147148149150पवित्र बाईबल

स्तोत्र 142

2 (1-2) मैं प्रभु की दुहाई देता हूँ । मैं ऊँचे स्वर से प्रभु से प्रार्थना करता हूँ।

3 मैं उसके सामने अपना दुःखड़ा रोता हूँ, मैं उसे अपना कष्ट बताता हूँ।

4 जब मैं निराश हो जाता हूँ, तो तू जानता है कि मैं कहाँ जा रहा हूँ। मैं जिस मार्ग पर चलता हूँ, वहाँ लोगों ने मेरे लिए जाल बिछाया है।

5 मेरे दाहिने दृष्टि डाल और देख – मेरी परवाह कोई नहीं करता, मेरे लिए कोई शरण नहीं, मेरे जीवन की चिन्ता कोई नहीं करता।

6 मैंने यह कहते हुए प्रभु को पुकारा: “तू ही मेरी शरण है, जीवितों के देश में मेरा भाग्य”।

7 मेरी पुकार सुन, क्योंकि मैं दुर्बल हूँ। मेरे अत्याचारियों से मुझे बचा, क्योंकि वे वे मुझ से शक्तिशाली

8 मुझे बन्दीगृह से निकाल, जिससे मैं तेरा नाम धन्य कहूँ। जब तू मेरा उपकार करेगा, तो धर्मी मेरे चारों ओर एकत्र हो जायेंगे।