स्तोत्र ग्रन्थ

अध्याय : 1234567891011121314151617181920212223242526272829303132333435363738394041424344454647484950515253 54555657585960616263646566676869707172737475767778798081828384858687888990919293949596979899100101102103104105106107108109 110111112113114115116117118119120121122123124125126127128129130131132133134135136137138139140141142143144145146147148149150पवित्र बाईबल

स्तोत्र 3

2 (1-2) प्रभु! कितने ही मेरे शत्रु! कितने है, जो मुझ से विद्रोह करते हैं!

3 कितने हैं, जो मेरे विषय में यह कहते हैं: उसका ईश्वर उसकी सहायता नहीं करता।

4 प्रभु! तू ही मेरी ढाल और मेरा गौरव है। तू ही मेरा सिर ऊँचा करता है।

5 मैं प्रभु को ऊँचे स्वर में पुकारता हूँ, वह अपने पवित्र पर्वत से मुझे उत्तर देता है।

6 मैं लेट कर निश्चिन्त सो जाता और सकुशल जागता हूँ, क्योंकि प्रभु मुझे सँभालता है।

7 मैं उन लाखों शत्रुओं से नहीं डरता, जो चारों ओर मेरे विरुद्ध खड़े हैं।

8 प्रभु! मेरे ईश्वर! उठ कर मुझे बचा। तू मेरे सब शत्रुओं पर चोट करता और विधर्मियों को दन्तहीन कर देता है।

9 प्रभु! तू ही हमारा उद्धारक है। अपनी प्रजा को आशीर्वाद प्रदान कर।