स्तोत्र ग्रन्थ

अध्याय : 1234567891011121314151617181920212223242526272829303132333435363738394041424344454647484950515253 54555657585960616263646566676869707172737475767778798081828384858687888990919293949596979899100101102103104105106107108109 110111112113114115116117118119120121122123124125126127128129130131132133134135136137138139140141142143144145146147148149150पवित्र बाईबल

स्तोत्र 60

3 (1-3) ईश्वर! तूने हमें त्यागा और छिन्न-भिन्न कर दिया। तू हम पर कृद्ध हुआ, अब हमारा उद्धार कर।

4 तूने पृथ्वी को कँपाया और वह फट गयी। अब उसकी दरारें भर दे, क्योंकि वह डगमगाती है।

5 तूने अपनी प्रजा को घोर कष्ट में डाला और हमें लड़खड़ा देने वाली मदिरा पिलायी।

6 जो तुझ पर श्रद्धा रखते हैं, तूने उन्हें संकेत दिया कि वे धर्नुधारी के सामने से भाग जायें।

7 तू अपने दाहिने हाथ से हमें बचा, हम को उत्तर दे, जिससे तेरे कृपापात्रों का उद्धार हो।

8 ईश्वर ने अपने मन्दिर में यह कहा, “मैं सहर्ष सिखेम का विभाजन करूँगा और सुक्कोथ की घाटी नाप कर बाँट दूँगा।

9 गिलआद प्रदेश मेरा है, मनस्से प्रदेश मेरा है; एफ्रईम मेरे सिर का टोप है; यूदा मेरा राजदण्ड है;

10 मोआब मेरी चिलमची है; मैं एदोम पर अपनी चप्पल रखता हूँ; मैं फ़िलिस्तिया को युद्ध के लिए ललकारता हूँ।”

11 कौन मुझे क़िलाबन्द नगर में पहुँचायेगा? कौन मुझे एदोम तक ले जायेगा?

12 वही ईश्वर, जिसने हमें त्यागा है; वही ईश्वर, जो अब हमारी सेनाओं का साथ नहीं देता। शत्रु के विरुद्ध हमारी सहायता कर; क्योंकि मनुष्य की सहायता व्यर्थ है।

13 ईश्वर के साथ हम शूरवीरों की तरह लड़ेंगे, वही हमारे शत्रुओं को रौंदेगा।