स्तोत्र ग्रन्थ

अध्याय : 1234567891011121314151617181920212223242526272829303132333435363738394041424344454647484950515253 54555657585960616263646566676869707172737475767778798081828384858687888990919293949596979899100101102103104105106107108109 110111112113114115116117118119120121122123124125126127128129130131132133134135136137138139140141142143144145146147148149150पवित्र बाईबल

स्तोत्र 82

1 ईश्वर स्वर्गसभा में उठ खड़ा हुआ है। वह देवताओं के बीच न्याय करता है।

2 “तुम कब तक दोषियों का पक्ष लेकर अन्यायपूर्ण निर्णय देते रहोगे?

3 निर्बल और अनाथ की रक्षा करो; दरिद्र और दीन-हीन को न्याय दिलाओ।

4 निर्बल और दरिद्र का उद्धार करो; उन्हें दुष्टों के पंजे से छुड़ाओ।

5 “वे न तो जानते हैं और न समझते हैं; वे अन्धकार में भटकते रहते हैं। पृथ्वी के सब आधार डगमगाने लगे हैं।

6 मैं तुम से कहता हूँ कि तुम देवता हो, सब-के-सब सर्वोच्च ईश्वर के पुत्र हो।

7 तब भी तुम मनुष्यों की तरह मरोगे; शासकों की तरह ही तुम्हारा सर्वनाश होगा।”

8 ईश्वर! उठ और पृथ्वी का न्याय कर, क्योंकि समस्त राष्ट्र तेरे ही हैं।