स्तोत्र ग्रन्थ

अध्याय : 1234567891011121314151617181920212223242526272829303132333435363738394041424344454647484950515253 54555657585960616263646566676869707172737475767778798081828384858687888990919293949596979899100101102103104105106107108109 110111112113114115116117118119120121122123124125126127128129130131132133134135136137138139140141142143144145146147148149150पवित्र बाईबल

स्तोत्र 87

1 प्रभु ने पवित्र पर्वत पर अपना नगर बसाया है।

2 वह याकूब के अन्य नगरों की अपेक्षा सियोन के फाटकों को अधिक प्यार करता है।

3 ईश्वर के नगर! लोग तेरा गुणगान करते हैं।

4 “मिस्र और बाबुल के लोग उसके नागरिक कहलायेंगे। फ़िलिस्तिया, तीरुस और इथोपिया सियोन को अपना जन्मस्थान मानेंगे।

5 “सब लोग सियोन का अपनी माता कहेंगे; क्योंकि सब वहीं उत्पन्न हुए हैं। सर्वोच्च प्रभु उसे सुदृढ़ बनाये रखता है।”

6 प्रभु राष्ट्रों की सूची में उनके विषय में लिखता है कि सियोन उनका जन्मस्थान है।

7 सब-के-सब नृत्य करते हुए सियोन का गुणगान करते हैं।