स्तोत्र ग्रन्थ

अध्याय : 1234567891011121314151617181920212223242526272829303132333435363738394041424344454647484950515253 54555657585960616263646566676869707172737475767778798081828384858687888990919293949596979899100101102103104105106107108109 110111112113114115116117118119120121122123124125126127128129130131132133134135136137138139140141142143144145146147148149150पवित्र बाईबल

स्तोत्र 93

1 प्रभु राज्य करता है। वह प्रताप का वस्त्र ओढ़े और सामर्थ्य का कटिबन्ध बाँधे है। उसने पृथ्वी का आधार सुदृढ़ बनाया है।

2 तेरा सिंहासन प्रारम्भ से स्थिर है। तू अनन्त काल से विद्यमान है।

3 प्रभु! बाढ़ की लहरें उमड़ रही हैं, बाढ़ की लहरें गरज रही हैं, बाढ़ की लहरें घोर गर्जन कर रही हैं।

4 आकाश के ऊपर विराजमान प्रभु बाढ़ के गर्जन और महासागर की प्रचण्ड लहरों से कहीं अधिक शक्तिशाली है।

5 प्रभु! तेरे आदेश अपरिवर्तनीय है। तेरे मन्दिर की पवित्रता अनन्त काल तक बनी रहेगी।