मंगलवार, 05 सितंबर, 2023
वर्ष का बाईसवाँ सामान्य सप्ताह
पहला पाठ : 1 थेसलनीकियों 5:1-6, 9-11
1 (1-2) भाइयो! आप लोग अच्छी तरह जानते हैं कि प्रभु का दिन, रात के चोर की तरह, आयेगा। इसलिए इसके निश्चित समय के विषय में आप को कुछ लिखने की कोई ज़रूरत नहीं है।
3) जब लोग यह कहेंगे: ’अब तो शान्ति और सुरक्षा है’, तभी विनाश उन पर गर्भवती पर प्रसव-पीड़ा की तरह, अचानक आ पड़ेगा और वे उस से बच नहीं सकेंगे।
4) भाइयो! आप तो अन्धकार में नहीं हैं, जो वह दिन आप पर चोर की तरह अचानक आ पड़े।
5) आप सब ज्योति की सन्तान हैं, दिन की सन्तान हैं। हम रात या अन्धकार के नहीं है।
6) इसलिए हम दूसरों की तरह नहीं सोयें, बल्कि जगाते हुए सतर्क रहें।
9) ईश्वर यह नहीं चाहता कि हम उसके कोप-भजन बनें, बल्कि अपने प्रभु ईसा मसीह के द्वारा मुक्ति प्राप्त करें।
10) मसीह हमारे लिए मरे, जिससे वह चाहे जीवित हों या मर गये हों, उन से संयुक्त हो कर जीवन बितायें।
11) इसलिए आप को एक दूसरे को प्रोत्साहन और सहायता देनी चाहिए, जैसा कि आप कर रहे है।।
सुसमाचार : सन्त लूकस 4:31-37
31) वे गलीलिया के कफ़रनाहूम नगर आये और विश्राम के दिन लोगों को शिक्षा दिया करते थे।
32) लोग उनकी शिक्षा सुन कर अचम्भे में पड़ जाते थे, क्योंकि वे अधिकार के साथ बोलते थे।
33) सभागृह में एक मनुष्य था, जो अशुद्ध आत्मा के वश में था। वह ऊँचे स्वर से चिल्ला उठा,
34) ’’ईसा नाज़री! हम से आप को क्या? क्या आप हमारा सर्वनाश करने आये हैं? मैं जानता हूँ कि आप कौन हैं-ईश्वर के भेजे हुए परमपावन पुरुष।’’
35) ईसा ने यह कहते हुए उसे डाँटा, ’’ चुप रह, इस मनुष्य से बाहर निकल जा’’। अपदूत ने सब के देखते-देखते उस मनुष्य को भूमि पर पटक दिया और उसकी कोई हानि किये बिना वह उस से बाहर निकल गया।
36) सब विस्मित हो गये और आपस में यह कहते रहे, ’’यह क्या बात है! वे अधिकार तथा सामर्थ्य के साथ अशुद्ध आत्माओं को आदेश देते हैं और वे निकल जाते हैं।’’
37) इसके बाद ईसा की चर्चा उस प्रदेश के कोने-कोने में फैल गयी।