मंगलवार, 12 सितंबर, 2023
वर्ष का तेईसवाँ सामान्य सप्ताह
पहला पाठ : कलोसियों 2:6-15
6) आपने ईसा मसीह को प्रभु के रूप में स्वीकार किया है;
7) इसलिए उन्हीं से संयुक्त हो कर जीवन बितायें। उन्हीं से संयुक्त हो कर जीवन बितायें। उन्हीं में आपकी जड़ें गहरी हों और नींव सुदृढ़ हो। आप को जिस विश्वास की शिक्षा प्राप्त हुई है, उसी में दृढ़ बने रहें और आपके हृदयों में धन्यवाद की प्रार्थना उमड़ती रहे ।
8) सावधान रहें। कहीं ऐसा न हो कि कोई आप लोगों को ऐसे खोखले और भ्रामक दर्शन-शास्त्र द्वारा बहकाये, जो मनुष्यों की परम्परागत शिक्षा के अनुसार है और मसीह पर नहीं, बल्कि संसार के तत्वों पर आधारित हैं।
9) क्योंकि मसीह में ईश्वरीय तत्व की परिपूर्णता अवतरित हो कर निवास करती है
10) और उन में आप इस परिपूर्णता के सहभागी है। मसीह विश्व के सभी आधिपत्यों और अधिकारों के शीर्ष हैं- सभी मसीह के अधीन हैं।
11) उन्हीं में आप लोगों का ख़तना भी हुआ है। वह ख़तना हाथ से नहीं किया जाता, वह ख़तना मसीह का अर्थात् बपतिस्मा है, जिसके द्वारा पापमय शरीर को उतार कर फेंक दिया जाता है।
12) आप लोग बपतिस्मा के समय मसीह के साथ दफ़नाये गये और उन्हीं के साथ पुनर्जीवित भी किये गये हैं, क्योंकि आप लोगों ने ईश्वर के सामर्थ्य में विश्वास किया, जिसने उन्हें मृतकों में से पुनर्जीवित किया।
13) आप लोग पापों के कारण और अपने स्वभाव के ख़तने के अभाव के कारण मर गये थे। ईश्वर ने आप लोगों को मसीह के साथ पुनर्जीवित किया है और हमारे सब अपराधों को क्षमा किया है।
14) उसने नियमों का वह बन्धपत्र, जो हमारे विरुद्ध था, रद्द कर दिया और उसे क्रूस पर ठोंक कर उठा दिया है।
15) उसने विश्व के प्रत्येक आधिपत्य और अधिकर को अपदस्थ किया, संसार की दृष्टि में उन को नीचा दिखाया और क्रूस के द्वारा उन्हें पराजित कर दिया है।
सुसमाचार : सन्त लूकस 6:12-19
12) उन दिनों ईसा प्रार्थना करने एक पहाड़ी पर चढ़े और वे रात भर ईश्वर की प्रार्थना में लीन रहे।
13) दिन होने पर उन्होंने अपने शिष्यों को पास बुलाया और उन में से बारह को चुन कर उनका नाम ’प्रेरित’ रखा-
14) सिमोन जिसे उन्होंने पेत्रुस नाम दिया और उसके भाई अन्द्रेयस को; याकूब और योहन को; फि़लिप और बरथोलोमी को,
15) मत्ती और थोमस को; अलफाई के पुत्र याकूब और सिमोन को, जो ’उत्साही’ कहलाता है;
16) याकूब के पुत्र यूदस और यूदस इसकारियोती को, जो विश्वासघाती निकला।
17) ईसा उनके साथ उतर कर एक मैदान में खड़े हो गये। वहाँ उनके बहुत-से शिष्य थे और समस्त यहूदिया तथा येरुसालेम का और समुद्र के किनारे तीरूस तथा सिदोन का एक विशाल जनसमूह भी था, जो उनका उपदेश सुनने और अपने रोगों से मुक्त होने के लिए आया था।
18) ईसा ने अपदूतग्रस्त लोगों को चंगा किया।
19) सभी लोग ईसा को स्पर्श करने का प्रयत्न कर रहे थे, क्योंकि उन से शक्ति निकलती थी और सब को चंगा करती थी।