शुक्रवार, 15 सितंबर, 2023
वर्ष का तेईसवाँ सामान्य सप्ताह
दुखों की कुँवारी मरियम अनिवार्य स्मृति
पहला पाठ : इब्रानियो 5:7-9
7) मसीह ने इस पृथ्वी पर रहते समय पुकार-पुकार कर और आँसू बहा कर ईश्वर से, जो उन्हें मृत्यु से बचा सकता था, प्रार्थना और अनुनय-विनय की। श्रद्धालुता के कारण उनकी प्रार्थना सुनी गयी।
8) ईश्वर का पुत्र होने पर भी उन्होंने दुःख सह कर आज्ञापालन सीखा।
9 (9-10) वह पूर्ण रूप से सिद्ध बन कर और ईश्वर से मेलखि़सेदेक की तरह प्रधानयाजक की उपाधि प्राप्त कर उन सबों के लिए मुक्ति के स्रोत बन गये, जो उनकी आज्ञाओं का पालन करते हैं।
सुसमाचार : योहन 19:25-27
25) ईसा की माता, उसकी बहिन, क्लोपस की पत्नि मरियम और मरियम मगदलेना उनके कू्रस के पास खडी थीं।
26) ईसा ने अपनी माता को और उनके पास अपने उस शिष्य को, जिसे वह प्यार करते थे देखा। उन्होंने अपनी माता से कहा, “भद्रे! यह आपका पुत्र है”।
27) इसके बाद उन्होंने उस शिष्य से कहा, “यह तुम्हारी माता है”। उस समय से उस शिष्य ने उसे अपने यहाँ आश्रय दिया।
अथवा – सुसमाचार : लूकस 2:33-35
33) बालक के विषय में ये बातें सुन कर उसके माता-पिता अचम्भे में पड़ गये।
34) सिमेयोन ने उन्हें आशीर्वाद दिया और उसकी माता मरियम से यह कहा, “देखिए, इस बालक के कारण इस्राएल में बहुतों का पतन और उत्थान होगा। यह एक चिन्ह है जिसका विरोध किया जायेगा।
35) इस प्रकार बहुत-से हृदयों के विचार प्रकट होंगे और एक तलवार आपके हृदय को आर-पार बेधेगी।