September 05

पहला पाठ : होशेआ 2:14bc,15cd,19-20

14) “मैं उसे लुभा कर मरुभूमि को ले चलूँगा और उसे सान्त्वना दूँगा।

15) वहाँ मैं उसे उसकी दाखबारियाँ लौटा दूँगा; मैं कष्ट की घाटी को आशा के द्वार में परिणत करूँगा। वहाँ वह मुझे स्वीकार करेगी, जैसा कि उसने अपनी जवानी के दिनों में किया था- उस समय, जब वह मिस्र से निकली थीं।

19) मैं सदा के लिए तुम्हें अपनाऊँगा। मैं तुम्हें धर्म और विधि के अनुसार कोमलता और प्यार से अपनाऊँगा।

20) मैं सच्ची निष्टा से तुम्हें अपनाऊँगा और तुम प्रभु को जान जाआंगी।

सुसमाचार : मत्ती 25:31-46

31) “जब मानव पुत्र सब स्वर्गदुतों के साथ अपनी महिमा-सहित आयेगा, तो वह अपने महिमामय सिंहासन पर विराजमान होगा

32) और सभी राष्ट्र उसके सम्मुख एकत्र किये जायेंगे। जिस तरह चरवाहा भेड़ों को बकरियों से अलग करता है, उसी तरह वह लोगों को एक दूसरे से अलग कर देगा।

33) वह भेड़ों को अपने दायें और बकरियों को अपने बायें खड़ा कर देखा।

34) “तब राजा अपने दायें के लोगों से कहेंगे, ’मेरे पिता के कृपापात्रों! आओ और उस राज्य के अधिकारी बनो, जो संसार के प्रारम्भ से तुम लोगों के लिए तैयार किया गया है;

35) क्योंकि मैं भूखा था और तुमने मुझे खिलाया; मैं प्यासा था तुमने मुझे पिलाया; मैं परदेशी था और तुमने मुझको अपने यहाँ ठहराया;

36) मैं नंगा था तुमने मुझे पहनाया; मैं बीमार था और तुम मुझ से भेंट करने आये; मैं बन्दी था और तुम मुझ से मिलने आये।’

37) इस पर धर्मी उन कहेंगे, ’प्रभु! हमने कब आप को भूखा देखा और खिलाया? कब प्यासा देखा और पिलाया?

38) हमने कब आपको परदेशी देखा और अपने यहाँ ठहराया? कब नंगा देखा और पहनाया ?

39) कब आप को बीमार या बन्दी देखा और आप से मिलने आये?”

40) राजा उन्हें यह उत्तरदेंगे, ’मैं तुम लोगों से यह कहता हूँ- तुमने मेरे भाइयों में से किसी एक के लिए, चाहे वह कितना ही छोटा क्यों न हो, जो कुछ किया, वह तुमने मेरे लिए ही किया’।

41) “तब वे अपने बायें के लोगों से कहेंगे, ’शापितों! मुझ से दूर हट जाओ। उस अनन्त आग में जाओ, जो शैतान और उसके दूतों के लिए तैयार की गई है;

42) क्योंकि मैं भूखा था और तुम लोगों ने मुझे नहीं खिलाया; मैं प्यासा था और तुमने मुझे नहीं पिलाया;

43) मैं परदेशी था और तुमने मुझे अपने यहाँ नहीं ठहराया; मैं नंगा था और तुमने मुझे नहीं पहनाया; मैं बीमार और बन्दी था और तुम मुझ से नहीं मिलने आये’।

44) इस पर वे भी उन से पूछेंगे, ’प्रभु! हमने कब आप को भूखा, प्यासा, परदेशी, नंगा, बीमार या बन्दी देखा और आपकी सेवा नहीं की?”

45) तब राजा उन्हें उत्तर देंगे, ’मैं तुम लोगों से यह कहता हूँ – जो कुछ तुमने मेरे छोटे-से-छोटे भाइयों में से किसी एक के लिए नहीं किया, वह तुमने मेरे लिए भी नहीं किया’।

46) और ये अनन्त दण्ड भोगने जायेंगे, परन्तु धर्मी अनन्त जीवन में प्रवेश करेंगे।”