September 07

पहला पाठ : 1 कुरिन्थियों 7:25-31

25) कुँवारियों के विषय में मुझे प्रभु की ओर से कोई आदेश नहीं मिला है, किन्तु प्रभु की दया से विश्वास के योग्य होने के नाते मैं अपनी सम्मति दे रहा हूँ।

26) मैं समझता हूँ कि वर्तमान संकट में यही अच्छा है कि मनुष्य जिस स्थिति में है, उसी स्थिति में रहे।

27) आपने किसी स्त्री से विवाह किया है? तो उस से मुक्त होने का प्रयत्न न करें। आपकी पत्नी का देहान्त हुआ है? तो दूसरी की खोज न करें।

28) यदि आप विवाह करते हैं, तो इस में कोई पाप नहीं और यदि कुँवारी विवाह करती है, तो वह पाप नहीं करती। किन्तु ऐसे लोग अवश्य ही विवाहित जीवन की झंझटें मोल लेते हैं- इन से मैं आप लोगों को बचाना चाहता हूँ।

29) भाइयो! मैं आप लोगों से यह कहता हूँ – समय थोड़ा ही रह गया है। अब से जो विवाहित हैं, वे इस तरह रहे मानो विवाहित नहीं हों;

30) जो रोते है, मानो रोते नहीं हो; जो आनन्द मनाते हैं, मानो आनन्द नहीं मनाते हों; जो खरीद लेते हैं, मानो उनके पास कुछ नहीं हो;

31) जो इस दुनिया की चीज़ों का उपभोग करते है, मानो उनका उपभोग नहीं करते हों; क्योंकि जो दुनिया हम देखते हैं, वह समाप्त हो जाती है।

📙 सुसमाचार : सन्त लूकस 6:20-26

20) ईसा ने अपने शिष्यों की ओर देख कर कहा, ’’धन्य हो तुम, जो दरिद्र हो! स्वर्गराज्य तुम लोगों का है।

21) धन्य हो तुम, जो अभी भूखे हो! तुम तृप्त किये जाओगे। धन्य हो तुम, जो अभी रोते हो! तुम हँसोगे।

22) धन्य हो तुम, जब मानव पुत्र के कारण लोग तुम से बैर करेंगे, तुम्हारा बहिष्कार और अपमान करेंगे और तुम्हारा नाम घृणित समझ कर निकाल देंगे!

23) उस दिन उल्लसित हो और आनन्द मनाओ, क्योंकि स्वर्ग में तुम्हें महान् पुरस्कार प्राप्त होगा। उनके पूर्वज नबियों के साथ ऐसा ही किया करते थे।

24) ’’धिक्कार तुम्हें, जो धनी हो! तुम अपना सुख-चैन पा चुके हो।

25) धिक्कार तुम्हें, जो अभी तृप्त हो! तुम भूखे रहोगे। धिक्कार तुम्हें, जो अभी हँसते हो! तुम शोक मनाओगे और रोओगे।

26) धिक्कार तुम्हें, जब सब लोग तुम्हारी प्रशंसा करते हैं! उनके पूर्वज झूठे नबियों के साथ ऐसा ही किया करते थे।