September 08
पहला पाठ : मीकाह 5:1-4
1) बेथलेहेम एफ्राता! तू यूदा के वंशों में छोटा है। जो इस्राएल का शासन करेगा, वह मेरे लिए तुझ में उत्पन्न होग। उसकी उत्पत्ति सुदूर अतीत में, अत्यन्त प्राचीन काल में हुई है।
2) इसलिए प्रभु उन्हें तब तक त्याग देगा, जब तक उसकी माता प्रसव न करे। तब उसके बचे हुए भाई इस्राएल के लोगों से मिल जायेंगे।
3) वह उठ खडा हो जायेगा, वह प्रभु के सामर्थ्य से तथा अपने ईश्वर के नाम प्रताप से अपना झुण्ड चरायेगा। वे सुरक्षा में जीवन बितायेंगे, क्योंकि वह देश के सीमान्तों तक अपना शासन फैलायेगा
4) और शांति बनाये रखेगा। जब अस्सूरी लोग हमारे देश पर आक्रमण करेंगे और हमारी भूमि में घुसपैठ करेंगे, तब हम उनके विरुद्ध सात चरवाहों और आठ शासकों को नियुक्त करेंगे।
अथवा – पहला पाठ : रोमियो 8:28-30
28) हम जानते हैं कि जो लोग ईश्वर को प्यार करते हैं और उसके विधान के अनुसार बुलाये गये हैं, ईश्वर उनके कल्याण के लिए सभी बातों में उनकी सहायता करता है;
29) क्योंकि ईश्पर ने निश्चित किया कि जिन्हें उसने पहले से अपना समझा, वे उसके पुत्र के प्रतिरूप बनाये जायेंगे, जिससे उसका पुत्र इस प्रकार बहुत-से भाइयों का पहलौठा हो।
30) उसने जिन्हें पहले से निश्चित किया, उन्हें बुलाया भी है: जिन्हें बुलाया, उन्हें पाप से मुक्त भी किया है और जिन्हें पाप से मुक्त किया, उन्हें महिमान्वित भी किया है।
सुसमाचार : मत्ती 1:1-6, 18-23
(1) इब्राहीम की सन्तान, दाऊद के पुत्र, ईसा मसीह की वंशावली।
(2) इब्राहीम से इसहाक उत्पन्न हुआ, इसहाक से याकूब, याकूब से यूदस और उसके भाई,
(3) यूदस और थामर से फ़़ारेस और ज़़ारा उत्पन्न हुए। फ़़ारेस से एस्रोम, एस्रोम से अराम,
(4) अराम से अमीनदाब, अमीनदाब से नास्सोन, नास्सोन से सलमोन,
(5) सलमोन और रखाब से बोज़़, बोज़ और रूथ से ओबेद, ओबेद से येस्से,
(6) येस्से से राजा दाऊद उत्पन्न हुआ। दाऊद और उरियस की विधवा से सुलेमान उत्पन्न हुआ।
(18) ईसा मसीह का जन्म इस प्रकार हुआ। उनकी माता मरियम की मँगनी यूसुफ से हुई थी, परंतु ऐसा हुआ कि उनके एक साथ रहने से पहले ही मरियम पवित्र आत्मा से गर्भवती हो गयी।
(19) उसका पति यूसुफ चुपके से उसका परित्याग करने की सोच रहा था, क्योंकि वह धर्मी था और मरियम को बदनाम नहीं करना चाहता था।
(20) वह इस पर विचार कर ही रहा था कि उसे स्वप्न में प्रभु का दूत यह कहते दिखाई दिया, “यूसुफ! दाऊद की संतान! अपनी पत्नी मरियम को अपने यहाँ लाने में नहीं डरे,क्योंकि उनके जो गर्भ है, वह पवित्र आत्मा से है।
(21) वे पुत्र प्रसव करेंगी और आप उसका नाम ईसा रखेंगें, क्योंकि वे अपने लोगों को उनके पापों से मुक्त करेगा।”
(22) यह सब इसलिए हुआ कि नबी के मुख से प्रभु ने जो कहा था, वह पूरा हो जाये –
(23) देखो, एक कुँवारी गर्भवती होगी और पुत्र प्रसव करेगी, और उसका नाम एम्मानुएल रखा जायेगा, जिसका अर्थ हैः ईश्वर हमारे साथ है।