September 14
पहला पाठ : गणना ग्रन्थ 21:4b-9
4) यात्रा करते-करते लोगों का धैर्य टूट गया
5) और वे यह कहते हुए ईश्वर और मूसा के विरुद्ध भुनभुनाने लगे, ”आप हमें मिस्र देश से निकाल कर यहाँ मरुभूमि में मरने के लिए क्यों ले आये हैं? यहाँ न तो रोटी मिलती है और न पानी। हम इस रूखे-सूखे भोजन से ऊब गये हैं।”
6) प्रभु ने लोगों के बीच विषैले साँप भेजे और उनके दंष से बहुत-से इस्राएली मर गये।
7) तब लोग मूसा के पास आये और बोले, ”हमने पाप किया। हम प्रभु के विरुद्ध और आपके विरुद्ध भुनभुनाये। प्रभु से प्रार्थना कीजिए कि वह हमारे बीच से साँपों को हटा दे।” मूसा ने जनता के लिए प्रभु से प्रार्थना की
8) और प्रभु ने मूसा से कहा, ”काँसे का साँप बनवाओ और उसे डण्डे पर लगाओ। जो साँप द्वारा काटा गया, वह उसकी ओर दृष्टि डाले और वह अच्छा हो जायेगा।”
9) मूसा ने काँसे का साँप बनवाया और उसे डण्डे पर लगा दिया। जब किसी को साँप काटता था, तो वह काँसे के साँप की ओर दृष्टि डाल कर अच्छा हो जाता था।
📙 सुसमाचार : सन्त योहन 3:13-17
13) मानव पुत्र स्वर्ग से उतरा है। उसके सिवा कोई भी स्वर्ग नहीं पहुँचा।
14) जिस तरह मूसा ने मरुभूमि में साँप को ऊपर उठाया था, उसी तरह मानव पुत्र को भी ऊपर उठाया जाना है,
15) जिससे जो उस में विश्वास करता है, वह अनन्त जीवन प्राप्त करे।’’
16) ईश्वर ने संसार को इतना प्यार किया कि उसने इसके लिए अपने एकलौते पुत्र को अर्पित कर दिया, जिससे जो उस में विश्वास करता हे, उसका सर्वनाश न हो, बल्कि अनन्त जीवन प्राप्त करे।
17) ईश्वर ने अपने पुत्र को संसार मं इसलिए नहीं भेजा कि वह संसार को दोषी ठहराये। उसने उसे इसलिए भेजा कि संसार उसके द्वारा मुक्ति प्राप्त करे।