September 26
पहला पाठ : योब का ग्रन्थ 1:6-22
6) एक दिन ऐसा हुआ कि स्वर्गदूत प्रभु के सामने उपस्थित हुए और शैतान भी उन में सम्मिलित हो गया।
7) प्रभु ने शैतान से कहा, “तुम कहाँ से आये हो?” शैतान ने प्रभु को उत्तर दिया, “मैंने पृथ्वी का पूरा चक्कर लगाया”।
8) इस पर प्रभु ने कहा, “क्या तुमने मेरे सेवक अय्यूब पर ध्यान दिया है? पृथ्वी भर में उसके समान कोई नहीं; वह निर्दोष और निष्कपट है, वह ईश्वर पर श्रद्धा रखता और बुराई से दूर रहता है।”
9) शैतान ने प्रभु से कहा, “क्या अय्यूब यों ही ईश्वर पर श्रद्धा रखता है?
10) क्या आपने उसके, उसके परिवार और उसकी पूरी जायदाद के चारों ओर मानो घेरा लगा कर उसे सुरक्षित नहीं रखा? आपने उसके सब कार्यों को आशीर्वाद दिया उसके झुण्ड देश भर मैं फैले हुए हैं।
11) आप हाथ बढ़ा कर उसकी सारी सम्पत्ति छीन लें, तो वह निश्चिय ही आपके मुँह पर आपकी निंदा करेगा।”
12) प्रभु ने शैतान से कहा, “अच्छा! उसका सब कुछ तुम्हारे हाथ में है, किंतु अय्यूब पर हाथ मत लगाना”। इसके बाद शैतान प्रभु के सामने से चला गया।
13) अय्यूब के पुत्र-पुत्रियाँ किसी दिन अपने बड़े भाई के यहाँ खा-पी रहे थे
14) कि एक सन्देशवाहक ने आ कर अय्यूब से कहा, “बैल हल में जुते हुए थे और गधियोँ उनके आस-पास चर रही थीं।
15) उस समय शबाई उन पर टूट पड़े और आपके सेवकों को तलवार के घाट उतार कर सब पशुओं को ले गये। केवल मैं बच गया और आप को यह समाचार सुनाने आया हूँ।”
16) वह बोल ही रहा था कि कोई दूसरा आ कर कहने लगा, “ईश्वर की आग आकाश से गिर गयी। उसने भेड़ों और चहवाहों को जला कर भस्म कर दिया। केवल मैं बच गया और आप को समाचार सुनाने आया हूँ”
17) वह बोल ही रहा था कि एक और अंदर से आया और कहने लगा, “खल्दैयी तीन दल बना कर ऊँटों पर टूट पड़े और आपके नौकरों को तलवार के घाट उतार कर पशुओं को ले गये। केवल मैं बच गया और आप को यह समाचार सुनाने आया हूँ”
18) वह बोल ही रहा था कि एक और आ कर कहने लगा, “आपके पुत्र-पुत्रियाँ, अपने बड़े भाई के यहाँ खा-पी रहे थे
19) कि एक भीषण आँधी मरूभूमि की ओर से आयी और घर के चारों कोनो से इतने ज़ोर से टकरायी कि घर आपके पुत्र-पुत्रियों पर गिर गया और वह मर गये। केवल मैं बचा गया हूँ और आप को यह समाचार सुनाने आया हूँ”
20) अय्यूब ने उठ कर अपने वस्त्र फाड़ डाले। उनसे सिर मुडाया और मुँह के बल भूमि पर गिर कर
21) यह कहा, “मैं नंगा ही माता के गर्भ से निकला और नंगा ही पृथ्वी के गर्भ में लौट जाऊँगा! प्रभु ने दिया था, प्रभु ने ले लिया। धन्य है प्रभु का नाम!”
22) इन सब विपत्तियों के होते हुए भी अय्यूब ने कोई पाप नहीं किया और उसने ईश्वर की निंदा नहीं की।
📙 सुसमाचार : सन्त लूकस 9:46-50
46) शिष्यों में यह विवाद छिड़ गया कि हम में सब से बड़ा कौन है।
47) ईसा ने उनके विचार जान कर एक बालक को बुलाया और उसे अपने पास खड़ा कर
48) उन से कहा, “जो मेरे नाम पर इस बालक का स्वागत करता है, वह मेरा स्वागत करता है और जो मेरा स्वागत करता है, वह उसका स्वागत करता है, जिसने मुझे भेजा है; क्योंकि तुम सब में जो छोटा है, वही बड़ा है।”
49) योहन ने कहा, “गुरूवर! हमने किसी को आपका नाम ले कर अपदूतों को निकालते देखा है और हमने उसे रोकने की चेष्टा की, क्योंकि वह हमारी तरह आपका अनुसरण नहीं करता“।
50) ईसा ने कहा, “उसे मत रोको। जो तुम्हारे विरुद्ध नहीं है, वह तुम्हारे साथ हैं।“